श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।हम मशीन बन कर नहीं, इंसान बन कर रहें।।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 41 ☆

☆ मुक्तक  ☆ ।।हम मशीन बन कर नहीं, इंसान  बन कर रहें।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

नए दौर में भी तुम,  दया साथ  रखो।

जमाना नया है पर,  हया साथ  रखो।।

हमें चमक ही  नहीं,  रोशनी  चाहिए।

बिना खोए पुराना तुम,नया साथ रखो।।

 [2]

पुरातन संस्कृति का, कभी हरण ना हो।

गलत प्रथा आदर्शों ,  का चलन ना हो।।

बहुमूल्य हैं पुरातन , संस्कार आज भी।

कदापि नारी सम्मान,  का क्षरण ना हो।।

[3]

संवेदना अवमूल्यन, पशुता की निशानी है।

हमें भावनाओं की पूंजी, नहीं मिटानी है।।

विश्वगुरु भारत महान, का अतीत रखें हम।

आधुनिकता दौड़ में, दौलत नहीं लुटानी है।।

[4]

हमाराआदरआशीर्वाद ही, हमाराअर्थ तंत्र है।

हमारा स्नेह प्रेम सरोकार, ही हमारा यंत्र है।।

हम मशीन नहीं बस ,  मानव बन कर रहें।

वसुधैव कुटुंबकम् भाव, ही हमारा गुरुमंत्र है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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