श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है दीप पर्व पर आपकी एक भावप्रवण कविता “#पानी के बुलबुले…#”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 104 ☆
☆ # पानी के बुलबुले… # ☆
जिंदगी कैसे कैसे घाव देती है
कहीं धूप तो कहीं छांव देती है
बिखर जाते है जांबाज भी कशमकश में
कहीं कमजोर बाजू तो
कहीं थके पांव देती है
कहीं कहीं फूलों की बहार है
कहीं कहीं खुशियाँ हज़ार है
कहीं शूल लिपटें है दामन से
कहीं जीत तो कहीं हार है
ठोकरें इम्तिहान लेती है
ठोकरें बुजदिलों के प्राण लेती है
ठोकरें सिखाती है जीने का सलीका
ठोकरें अमिट निशान देती है
कौन जाने वक्त कब बदल जाए
खोटा सिक्का भी कब चल जाए
बहुरंगी इस दुनिया में
कोई अपना ही कब छल जाए
हम तो अभावों में ही पले हैं
चुभते तानों से ही जले हैं
किससे फरियाद करे यारों
हम तो पानी के बुलबुले हैं/
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈