श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…अश्वगंधा ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 63 – मनोज के दोहे…अश्वगंधा ☆
1 भारत आयुर्वेद में, जनक-निपुण-विद्वान।
वेदों में यह वेद है, रखे स्वस्थ बलवान।।
2 आयुर्वेद की यात्रा, वर्ष सहस्त्रों पूर्व ।
योग ज्ञान विज्ञान में, विद्वत-जन से पूर्ण ।।
3 जड़ी बूटियों में छिपी, रोग हरण की शक्ति।
सनातनी युग में मिला, कर ब्रह्मा की भक्ति।।
4 धन्वंतरि जी ने किया, रोग हरण की खोज।
ब्रह्मा जी की कृपा से, आयुर्वेदी ओज।।
5 पद चिन्हों में चल पड़े, अनुसंधानी रोज।
चरक चिकित्सक हो गए,कृतित्व रहा मनोज।।
6 संस्थापक ये ऋषि रहे , जग में है पहचान।
चरक-संहिता लिख गए , मानव का कल्यान।।
7 सर्जन सुश्रुत ने किया, बड़ा अनोखा काम।
सुश्रुत-संहिता को लिखा, खूब कमाया नाम।।
8 पेड़ छाल पौधे सभी, जड़ पत्ते अरु बीज।
प्रकृति जन्य उपहार हैं, शोध परक ताबीज।।
9 हरें-रोग जड़ी-बुटियाँ, आयुर्वेद विज्ञान।
मानव की रक्षा करें, करतीं रोग निदान।।
10 पौधा है असगंध का, करता बड़ा कमाल।
अश्वगंधा के नाम से, इसने किया धमाल।।
11अश्वगंध के नाम से, जग में भी विख्यात।
नाम अनेकों हैं मगर, करे रोग संघात।।
12 गुणकारी पौधा सुखद,जिसका नहीं जवाब।
औषधि में सर्वश्रेष्ठ है, शोधक रखें हिसाब।।
13 लम्बे पत्ते शाख में, पतली टहनी देख ।
जड़ लंबी होती सदा, खेतों की है रेख।।
14 झाड़ी या पौधे कहें, हरित रहें सब पात।
मेढ़ पहाड़ी में उगें, दिखें सदा हर्षात।।
15 देश विदेशों में अलग,भाँति-भाँति के नाम ।
विंटर चेरि पॉयजनस, करे सभी सत्काम।।
16 तुख्मे हयात,अमुकुरम,कुष्ठगन्धिनि,पुनीर।
वराहकर्णि,अमनगुरा,तन-मन हरती पीर।।
17 घोडासोडा,अमुक्किरा,असकन्धा से नाम।
काकनजे,टिल्ली कहें, रोग हरण के काम।।
18 शोध हो रहे नित्य प्रति, रोगों का उपचार।
लगता है अब निकट ही, होगा बिग बाजार।।
19 दिखने में छोटा बड़ा, पौधा है असगंध।
घोड़े के पेशाब सी, रगड़ो आती गंध।।
20 नेत्र ज्योति में वृद्धि कर, पीड़ा-हरती नेत्र।
जड़ी-बूटि है यह बड़ी, व्यापक इसका क्षेत्र ।।
21 हरे रोग गलगंड के, दाबे अपनी काँख।
विज्ञानी औषधि निपुण, खुली देखते आँख।।
22 स्वेत-बाल यदि हो रहे, मत घबराएँ आप।
अश्वगंधा सेवन करें, मिट जाते संताप।।
23 कब्ज समस्या हो अगर, करता रोग निदान।
अन्य उदर बीमारियाँ, निरोगी-समाधान।।
24 छाती में यदि दर्द हो, इसका बड़ा महत्व ।
गुम गठिया-उपचार में, यही इलाजी तत्व।।
25 क्षय-रोगों के लिए यह, अनुपम करे इलाज।
रोग मुक्त टी बी करे, आयुष को है नाज ।।
26 ल्यूकोरिया-इलाज में, अश्वगंध सरताज ।
असगंधा में छिपा है,इसका पूर्ण इलाज। ।
27 अश्वगंध के चूर्ण से, मिटता रक्त विकार।
त्वजा रोग में यह करे, महत्वपूर्ण उपचार।।
28 शारीरिक कमजोरियाँ, करता है यह दूर।
खाँसी और बुखार में, उपयोगी भरपूर।।
29 चोट लगे या कट लगे,करे शीघ्र उपचार।
अश्वगंध सेवन करें, तन-मन करे निखार ।।
30 राजस्थान प्रदेश में, स्थान प्रमुख नागौर ।
जलवायु अनुकूलता, उत्पाद श्रेष्ठ का दौर।।
31 नागौरी असगंध की, औषधि बड़ी महत्व।
इसके चूरण तेल में, रोग निवारक तत्व।।
32 रोज रात पीते रहें, जिनका तन अस्वस्थ ।
दूध सँग अश्वगंध लें, होती काया स्वस्थ।।
33 दो ग्राम असगंध सँग, आँवला लें समान।
एक मुलेठी पीसिए,आँखों का कल्यान।।
34 तन-कमजोरी में करे, हर रोगों पर घात।
वीर्य वृद्धि पुरुषार्थ में, होता यह निष्णात।।
35 अश्वगंध का चूर्ण यह, होता पूर्ण सफेद।
चर्म रोग नाशक रहे, कष्ट निवारक श्वेद।।
36 तन-मन की रक्षा करे, खाएँ चियवनप्राश।
सम्मिश्रण अश्वगंध का, करे रोग का नाश।।
37 द्राक्षासव में सम्मिलित, असगंधा का योग।
उदर रोग से मुक्ति दे, करें नित्य उपभोग।।
38 जोड़ों में आराम दे, असगंधा का तेल ।
करिए मालिस नित्य ही, हो खुशियों का मेल।।
39 वात पित्त कफ दोष से,बने मुक्ति का योग ।
तन मन हर्षित हो सदा, जो करता उपभोग।।
40 कैंसर जैसे रोग में, इसका है उपयोग।
शोध परक बूटी सुखद, हरण करे यह रोग।।
41जिसको देखो तृषित है,डायबिटिक का रोग।
मददगार मधुमेह में, तन-रक्षा का योग।।
42 अनिद्रा अरु अवसाद में, बैठा आँखें-मींद।
चिंताओं से मुक्त हो, सुख की देता नींद।।
43 शुक्रधातु को प्रबल कर पौरुष देता बल्य।
वात रोग का नाश कर, हटे पेट का मल्य।।
44 माँसपेशियाँ दुरुस्त कर, रक्त करे यह शुद्ध।
तन-मन को मजबूत कर, योगी ज्ञानी बुद्ध।।
45 हृदय रोगियों के लिए, जीवन-मरण सवाल।
शुद्ध रक्त बहता रहे,औषधि करे कमाल।।
46 बालों का झड़ना रुके, बढ़ें प्रकृति अनुरूप।
ओजस्वी मुखड़ा दिखे, सबको लगे अनूप।।
47 यौन विकारों के लिए, इसमें छिपी है शक्ति।
जीवन नव संचार कर, भर दे जीवन भक्ति।।
48 थाइराइड कंट्रोल कर,दुख का करे निदान।
अश्वगंध की दवा से, परिचित हुआ जहान।।
49 महिलाओं के लिए यह, गर्भावस्था वक्त।
परामर्श सेवन करें, स्वस्थ निरोगी रक्त।।
50 घटे मुटापा व्यक्ति का, जो खाता असगंध।
रोग भगाता है सभी, कर्मयोग अनुबंध।।
51 औषधि में मिलती घटक,शोधपूर्ण का मेल।
रोगों का यह शमन कर, दौड़े सुखमय रेल।।
52 जहरीले पौधे बहुत, पर होते गुण-खान।
जहर-जहर को काटता, सबको इसका भान।।
53 डाक्टर से परामर्श लें, तभी करें उपभोग।
मात्रा-मिश्रण हो सही, भागे तब ही रोग।।
54 आसव चूरण तेल सब, मिले दवा बाजार।
सोच समझ उपयोग कर, तभी करें उपचार।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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