डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है  “भावना के दोहे – मकर सक्रांति /लोहड़ी।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 164 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – मकर सक्रांति /लोहड़ी ☆

लोहड़ी की धूम मची, नाच रहे है यार।

मिलजुल कर सब झूमते, बांट रहे हैं प्यार।।

ढोल नगाड़े बज रहे, मनता है त्योहार।

पर्व लोहड़ी का मने, हर्षित होते यार।।

गीत पर्व के गा रहे, महफिल चारों ओर।

होम लगाते रेवड़ी, शोभा है घनघोर।।

सुबह सबेरे कर रहे, संक्रांति का स्नान।

हर्षित मन अब हो गया, करते पूजा ध्यान।।

मकर संक्रांति मन रही, मंगलमय त्योहार।

लड्डू बने तिल गुड़ के, पतंग उड़ी हजार ।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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