श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है दीप पर्व पर आपकी एक भावप्रवण कविता “#पतंग …#”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 112 ☆

☆ # पतंग… # ☆ 

आओ हम पतंग उड़ाए

मांझा,चक्री लेकर आए

पतंग हमारी उड़ती जाए

नील गगन में खूब लहराए

 

भिन्न भिन्न रंगो की पतंग है

भिन्न भिन्न रूपों की पतंग है

भिन्न भिन्न सपनों की पतंग है

भिन्न भिन्न अपनों की पतंग है

 

कहीं कोई लोहड़ी मनाऐ

कहीं कोई पोंगल मनाऐ

कहीं कोई मकर संक्रांति मनाऐ

कहीं कोई बिहू, भोगली मनाऐ

 

सबके मन में है उमंग

आकाश में उड़ती जाये पतंग

अमीर गरीब का भेद नहीं है

सबकी पतंग उड़े संग संग

 

कोई लगाये कट्टर मांझा

किसी के हाथ में सरल धागा

जो दूसरे की पतंग काटे

वो तो है आज का राजा

 

कुछ लोग सदा पेंच लड़ाते

पतंग काटने जुगत भिड़ाते

तरह तरह के मांझे लाकर

पतंग काट,अपना रोब बढ़ाते

 

उड़ती पतंग कितनी अच्छी है

हर उड़ान कितनी सच्ची है

जीवन की पतंग उड़ती रहे

इसलिए सब माथापच्ची है

 

कभी किसी की डोर ना टूटे

कोई दीवाना पतंग ना लूटे

लहराती रहे आसमान में

कभी हाथ से डोर ना छूटे/

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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