श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# अभी हम जिंदा है … #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 117 ☆
☆ # अभी हम जिंदा है … # ☆
यार मुस्कराओ की
अभी हम जिंदा है
हमारी जिंदादिली पर
मौत भी शर्मिंदा है
जो मिला खूब मिला
नहीं हमें किसी से गिला
जिंदगी मस्ती में कटी
मस्त हर एक बंदा है
बाप की परवरिश व्यर्थ गयी
बहू-बेटे में शर्म नहीं रहीं
मां-बाप बोझ बन गए हैं यहां
रिश्ते दिखावे का धंधा है
अमीर देश में रोज बढ़ रहे हैं
नंबरों की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं
सरकार लोगों से कह रही है
भाई व्यापार बहुत मंदा है
रसूखदार उड़ा रहे हैं मज़ा
शोषित पीड़ित भुगत रहे सज़ा
न्याय पिंजरे में बंद है
कानून यहां पर अंधा है
कल का फकीर हवा में उड़ता है
ऐश्वर्य को देख नशे में झूमता है
कायदे कानून कदमों के दास है
सियासत का खेल बहुत गंदा है
हमारी सारी विरासतें
बिक रही है रोज़ देखते-देखते
हिसाब कौन मांगें गा
हम तो दे रहे रोज़ चंदा है/
© श्याम खापर्डे
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