श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है  “मनोज के दोहे”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 72 – मनोज के दोहे – ☆

1 सुकुमार

लखन राम सुकुमार सिय, चले कौशलाधीश।

मात-पिता आशीष ले, बढ़े नवा कर शीश।।

2 राधिका

प्रेम राधिका का अमर, जग करता नित याद।

भक्त सभी जपते सदा, जब आता अवसाद।।

3 उपवास

तन-मन को निर्मल करे, जो करता उपवास।

रोग शोक व्यापे नहीं, जीवन भर मधुमास।।

4 लोचन

लोचन हैं राजीव के, श्याम वर्ण अभिराम।

द्वापर में फिर आ गए, अवतारी घन-श्याम।।

5 मिठास

वाणी सिक्त मिठास की, होती है अनमोल।

जीवन भर जो स्वाद ले, बोले मिश्री घोल।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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