डॉ निशा अग्रवाल
☆ कविता ☆ होली पर्व विशेष – होली प्रेम प्रतीक है… ☆ डॉ निशा अग्रवाल ☆
रंगीन त्यौहार है आया, कि मन खुशियों से झूमे है।
हरे ,नीले, लाल रंग ने, अनेकों रंग बिखेरे हैं।
मगर एक रंग है अदभुत, जो प्रकृति में अनौखा है।
प्रेम रंग रंग है ऐसा, जिसे कान्हा में देखा है।
मगर एक रंग है अदभुत, जो प्रकृति में निराला है।
प्रेम रंग रंग है ऐसा, विष भी अमृत का प्याला है।
रंगीन त्यौहार है आया , कि मन खुशियों से झूमे है।
हरे ,नीले, लाल रंग ने, अनेकों रंग बिखेरे हैं।
भाव ऐसा जगा कान्हा, कि कटु दुर्भाव मिट जाए।
आहुति नफरत की देकर, प्रेम रंग में ही रंग जाएं।
ये रुसवाई मिटा कान्हा, प्रेम ज्योति में छिप जाए।
रहे कोई ना बेगाना, सभी मुझमें ही रम जाएं।
रंगीन त्यौहार है आया, कि मन खुशियों से झूमे है।
हरे, नीले लाल रंग ने, अनेकों रंग बिखेरे हैं।
बुराई पर अच्छाई जीत की, हासिल करो एक बार।
सोच बदलो, नजर बदलो, नजरिया बदल जाए हर बार।
फिर पतझड़ में भी आ जाए, बसंत मन फूलों सी बहार।
फिर देखो खुशनुमा और जगमगाता आपका संसार।
रंगीन त्यौहार आया है, कि मन खुशियों से झूमे है।
हरे, नीले, लाल रंग ने, अनेकों रंग बिखेरे हैं।
© डॉ निशा अग्रवाल
(ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)
एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री
जयपुर ,राजस्थान
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈