श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।जियो यूँ यह जिन्दगी ईश्वर का अनमोल उपहार समझ कर।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 63 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।जियो यूँ यह जिन्दगी ईश्वर का अनमोल उपहार समझ कर।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
सफर जारी रखो धूल को रंगोंगुलाल समझ कर।
सफर जारी रखो इसे ना मलाल समझ कर।।
जीवन की यात्रा जरा हंस कर ही गुज़ारो।
काम मेंआनन्द लो इसका जलाल समझ कर।।
[2]
मत गुज़ारो जिन्दगी कोई कारोबार समझ कर।
गुज़ारो जिन्दगी जैसे कोई सरोकार समझ कर।।
किसीअर्थ को मिला जीवन का अनमोल वरदान।
गुज़ारो यह जिन्दगी ईश्वर का उपहार समझ कर।।
[3]
मत गुज़ारो यह जिंदगी जीत और हार समझ कर।
सहयोग करो सबसे हीअपना संस्कार समझ कर।।
जरूरत से ज्यादा रोशनी भी बना देती है अंधा।
मत गुज़ारो जिंदगी बस जीने की दरकार समझ कर।।
[4]
नहीं रुको बढ़ो आगे कोई किरदार समझ कर।
बढ़ो आगे मुश्किल को भी पतवार समझ कर।।
कठनाई ही संवारती मनुष्य के आत्मविश्वास को।
बढ़ो आगे इसे जीवन का हिस्सेदार समझ कर।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464