श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 31 ☆ देश-परदेश – पड़ोस का बनिया ☆ श्री राकेश कुमार ☆
हमारे यहां तो प्राय प्रत्येक गली,नुक्कड़ या मोहल्ले में दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली सामग्री उपलब्ध हो जाती हैं। कोविड काल में भी इन्होंने जनता के भोजन में कोई कमी नही आने दी थी। पुराने समय में तो इस प्रकार की दुकानें घर में ही होती थी और भोर से देर रात्रि तक सुविधा मिलती रहती थी।वो बात अलग है, की इनका विक्रय मूल्य बाज़ार से अधिक रहता हैं। उधारी की अतिरिक्त सुविधा भी बहुतायत में मिल जाती हैं।हमारी हिंदी फिल्मों के ग्रामीण पटकथा में अभिनेता “जीवन” ने अनेक रोल में बनिया बन कर अपनी कला का लोहा मनवाया था।
यहां विदेश में तो विशाल शोरूम के माध्यम से ही दैनिक सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है, जिनमें वॉल मार्ट, कोस्को, अमेजान जैसे खिलाड़ी अपनी सेवाएं प्रदान करने में अग्रणी हैं।
वर्तमान निवास से दो मील की दूरी पर एक छोटे से स्टोर में जाना हुआ, तो वहां गुजरात के विश्व पूज्यनीय संत “स्वामी नारायण” जी के चित्र को देखकर आश्चर्य भी हुआ और अच्छा भी लगा।जानकारी मिली की स्टोर एक गुजराती श्री पिंटू जी विगत अठारह वर्ष से चला रहे हैं। नाम कुछ पश्चिम देश का लगा तो पूछ लिया तो वो हंसते हुए बोले मेरा गुजराती नाम पियुषभाई हैं,अमरीकी लोगों के लिए पिंटू सुविधाजनक और यहां का ही लगता है। इसलिए सभी अब इस नाम से ही जानते हैं।बात भी सही है,नाम में क्या रखा है,काम होना चाइए।
सुबह छः बजे से रात्रि दस बजे तक वो अपनी पत्नी के साथ अपना स्टोर चलते हैं।
यहां पर दूध, सिगरेट,शराब, लॉटरी टिकट इत्यादि विक्रय किए जाते हैं।
अमेरिका जैसे विकसित और पढ़ें लिखे देश में हमारे देश के गुजराती भाई अनेक दशकों से कई प्रकार के व्यवसाय सफलता पूर्वक चला रहे हैं।कुछ परिवारों की तो तीसरी/ चौथी पीढ़ी यहां के व्यापार जगत में अपनी पैंठ बना चुकी हैं।
हमारे देश के सिंधी भाई भी पूरे गल्फ में छाए हुए हैं। सिख बंधु भी इंगलैंड और कनाडा जैसे देशों की आबादी को हिस्सा बन चुके हैं। दक्षिण पूर्व सिंगापुर, मलेशिया आदि में तमिल भाई अग्रणी हैं।
आई टी सेवा में तो पूरे देश के लोग विश्व में भारत की शान हैं,परंतु बहुतायत आंध्र प्रदेश से आते हैं।
पिंटू जी ने भारतीय संस्कृति का परिचय देते हुए हमें चाय/कॉफी का प्रस्ताव दिया। हमने भी उनकी मेज़बानी स्वीकार किया और अमेरिका देश के बारे में ढेर सारी जानकारी प्राप्त कर ली।
© श्री राकेश कुमार
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