श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे..”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 76 – मनोज के दोहे… ☆
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1 आभार
सबके प्रति आभार है, दिखलाई जो राह।
कविता तट तक जा सका,नाप सका कुछ थाह।।
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2 ज्वार
ज्वार बाजरा खाइए, मिटें उदर के रोग।
न्यूट्रीशन तन को मिले, होता उत्तम भोग।।
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3 सुकुमार
बाल्यकाल सुकुमार है, रखें सदा ही ख्याल।
संस्कारों की उम्र यह, होता उन्नत भाल।।
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4 पुलकन
मन की पुलकन बढ़ गई, मिली खबर चितचोर।
बेटी का घर आगमन, बाजी ढोलक भोर ।।
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5 चितवन
चितवन झाँकी राम की, सीता सँग घनश्याम।
आभा मुख की निरखते, हृदय बसें श्री राम।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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