श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# तुम्हारे बिना… #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 127 ☆
☆ # तुम्हारे बिना… # ☆
तुम्हारे बिना
कल भी जी रहा था मैं
आज भी जी रहा हूँ
और कल भी जीऊँगा
तुम्हारे विरूद्ध
कभी कुछ नहीं कहा है
आज और कल भी
कुछ नहीं कहूँगा
तुमने जो हंसते हंसते
जख्म दिए हैं
उन्हें आज और कल भी
हँसते हँसते सहूँगा
तुमने मझधार में
छोड़ दिया था
रिश्ता तोड़ दिया था
उसे आज और कल भी
तुम्हारी सौगात समझ
बस मैं चुप चाप रहूँगा
तुमने जो गुलाब का
पौधा लगाया था
वो अब वृक्ष बन गया है
फूल और कांटे साथ साथ है
वो हर पल तुम्हें ढूंढता है
उसके साथ मैं भी
आज और कल भी
तुम्हें ढूँढता रहूँगा
तुम्हारी यादें
जो मेरे हृदय में
रोम रोम में बसी है
उन्हें आंसूओं में बहाकर
आज और कल भी
मैं सदा यूं ही बहूँगा
तुमने जो प्रेम रस पिलाया है
कुछ पल मदहोशी में जिलाया है
उसे अपना भाग्य मानकर
आज और कल भी
हर प्यास के साथ पीऊँगा
तुम्हारे बिना
तब भी जी रहा था मैं
आज भी जी रहा हूँ
और कल भी जीऊँगा /
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
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