डॉ राकेश ‘ चक्र’
(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी की अब तक 131मौलिक पुस्तकें (बाल साहित्य व प्रौढ़ साहित्य) तथा लगभग तीन दर्जन साझा – संग्रह प्रकाशित तथा कई पुस्तकें प्रकाशनाधीन। जिनमें 7 दर्जन के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा बाल साहित्य के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य श्री सम्मान’ और उत्तर प्रदेश सरकार के हिंदी संस्थान द्वारा बाल साहित्य की दीर्घकालीन सेवाओं के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य भारती’ सम्मान, अमृत लाल नागर सम्मान, बाबू श्याम सुंदर दास सम्मान तथा उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संस्थान के सर्वोच्च सम्मान सुमित्रानंदन पंत, उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान सहित पाँच दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं गैर साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित एवं पुरुस्कृत। आदरणीय डॉ राकेश चक्र जी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें संक्षिप्त परिचय – डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी।
आप “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से उनका साहित्य आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 158 ☆
☆ बाल गीत – बादल जी हैं बड़े चितेरे ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ ☆
बादल जी हैं बड़े चितेरे।
आसमान में चित्र उकेरे।।
कहीं चलाते घोड़ा गाड़ी
कभी चलाते हल और बैल।
कभी भागते ट्रैक्टर लेकर
करते नित्य अनोखे खेल।।
कभी – कभी तो सूर्य को घेरें
जल्दी आकर बड़े सवेरे।।
शेर कभी भालू बन जाते
कभी बनें चितकबरे जिराफ।
कभी उड़ें पर्वत के ऊपर
कभी निकालें मुख से भाप।।
सोनी , मौनी , जॉनी खुश हैं
जादूगर बादल को टेरे।।
कभी मौसमी वर्षा लाते
खूब बरसते झम – झम – झम – झम।
कभी ठंड में ठंड बढ़ाते
कभी बरसते बिल्कुल कम – कम।।
कभी – कभी ओले बरसाते
खूब बर्फ के लगते डेरे।।
काम करें वह बड़ी लगन से
बुझती है धरती की प्यास।
पौधे – पेड़ प्रफुल्लित होते
हरी – भरी हो जाती घास।।
बिन स्वार्थ के वह तो बरसें
सच में लगते बड़े कमेरे।।
© डॉ राकेश चक्र
(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)
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