डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना “कैसे कहूं…?”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 180 – साहित्य निकुंज ☆
☆ कैसे कहूं…? ☆
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भाव मन में
बहने लगे
अनायास
कैसे कहूं।
कुछ न आता समझ
व्यक्त कैसे करूं
मन की बातें
कैसे कहूं।
दिल पर
छाई है उदासी
बेवजह
कैसे कहूं।
उनके शब्दों में
है जान
मिलती है प्रेरणा
कैसे कहूं।
बिखरे शब्द
लगे समिटने
मिला आकर
कैसे कहूं।
आयेगा वो पल
चमकेगी किस्मत
समझोगे तब
कैसे कहूं।
है मंजिल सामने
वहीं है खास
हो जाती हूं नि:शब्द
कैसे कहूं।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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