श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ मुक्तक ☆ ।।काँटों के बीच भी गुलाब सा खिलना सीख लो।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
आईने सी जिंदगी मुस्कायो तो मुस्काती है।
बाँट कर देखो खुशी दुगनी होकर आती है।।
जीकर देखो सब के संग साथ जरा मिल कर।
यह जिंदगी सौगातों की झोली खोल जाती है।।
[2]
शिकवा शिकायत नहीं शुकराना सीख जायो।
हर किसीके आदर में झुक जाना सीख जायो।।
कुछ धीरज और कुछ प्रभु पर विश्वास रखो।
ईश्वर की मर्जी में राजी हो पाना सीख जायो।।
[3]
आदमी को हराना नहीं दिल जीत जाना सीखो।
किताबें पढ़ कर उसे आचरण मे लाना सीखो।।
तुम्हारे कर्म शब्दों से अधिक होते हैं प्रभावी।
आत्मा मन वाणी बस प्रेम की भाषा लाना सीखो।।
[4]
बसा कर प्यार का शहर नफरत मिटाना सीख जायो।
समय पर हर आदमी के काम आना सीख जायो।।
इसी जमीं पर स्वर्ग सी बन सकती तुम्हारी दुनिया।
बस काँटों बीच गुलाब सा खिलखिलाना सीख जायो।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464