सुश्री तृप्ती कुलकर्णी
(मराठी लेखिका सुश्री तृप्ती कुलकर्णी जी की एक भावप्रवण कविता ‘माँ’।)
☆ कविता ☆ माँ!… ☆ सुश्री तृप्ती कुलकर्णी ☆
तुम तो अब रही नहीं…
तो तुम्हें कहाँ ढूँढूँ? तुम्हें कैसे देखूँ ?
मुझे तुम्हारी याद हर पल आती है,
मैं खयालों में डूब जाती हूँ
वे पल, जो मैंने तुम्हारे साथ गुज़ारे थे
वे फिर से जीना चाहती हूँ…
तुम्हारा ख़्याल मुझे अक्सर
यादों के आंगन में ले जाता है
डूब जाती हूँ उन पलों में,
जो हमने साथ गुजारे थे…
वे पल फिर से जीना चाहती हूँ
माँ!
इसलिए मैं अब हर रोज इस नदी किनारे आती हूँ,
इस रेत पर तुम्हारी बहुत सी यादें बिछी हुई हैं
मुझे उस पानी में अब भी दिखाई देती हैं
वे कश्तियाँ जो हमने मिलकर बहाई थीं
कई बार हमने इसमें दिया अर्पित किया था
उनकी टिमटिमाहट आज भी तरंगों में झलकती है
बहुत देर, तक नंगे पाँव बैठे रहते थे हम दोनों
छोटी-छोटी मछलियाँ पैर गुदगदा कर जाती थीं
लगता, एक मछली मेरी चुग़ली तुमसे कर जाती
और एक तुम्हारी शरारत मुझसे कह ज़ाती थी
हम तो खामोश रहते थे…
लेकिन वे छोटी-छोटी मछलियाँ कहती रहती थीं
मुझे कभी भाता नहीं था सूरज का डूबना…
लेकिन तुम्हें तो बहुत पसंद था
सूरज का डूब जानेवाला प्रतिबिंब
कई बार देखें हैं तुम्हारे आंखों में आँसू,
जब सूरज पूरा ढल जाता था
मैं समझ न पाती थी उस दर्द को,
जो कहने से ज्यादा तुम्हें सहना पसंद था…
मंदिर की घंटियाँ बजते ही
बरबस हमारे हाथ जुड़ जाते,
हम खड़े हो जाते
तुम आगे-आगे चला करती
मैं पीछे तुम्हारा हाथ थाम कर,
तुम्हारे क़दमों के निशान पर पैर जमाती
मैं चलती रहती थी…
बड़े विश्वास के साथ
न फिसलने का डर था,
न अंधेरे के घिर आने का!
आज तुम नहीं,
तुम्हारा साथ नहीं
लेकिन वह गीली मिट्टी है न माँ!
जो हमेशा गीला ही रहना पसंद करती है
वह मुझे फिसलने नहीं देती
शायद उसने तुम्हारे दिल को अच्छी तरह से पढ़ा है माँ!
इसीलिए मेरे पैरों को छूकर
तुम्हारे कोमल स्पर्श सा एहसास देती है
लहरें मेरे कानों में हौले से कह जाती हैं
मैं हूँ ना तुम्हारे साथ, हमेशा हमेशा
माँ!
तुम खोई कहाँ हो…
तुम साथ नहीं, पर आस-पास हो
तुम इस नदी में समा गई हो,
सूरज के प्रतिबिंब जैसी
माँ!
अब मैं भी देखती हूँ
सूरज डूबने का वह दृश्य
मेरे भी आँसू बहते हैं
डूबता हुआ सूरज देखकर
अब मैं जान गई हूँ, माँ!
मन की तरलता में यादों की छवि देखने के लिए
कुछ बातें कहने से, सहना ज्यादा अच्छा होता है
माँ!
तुम्हारी बहुत-बहुत याद आती है
© सुश्री तृप्ती कुलकर्णी
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈