श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “सजल – अग्नि सदा देती है आँच…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 84 – सजल – अग्नि सदा देती है आँच… ☆
अग्नि सदा देती है आँच ।
ज्ञानी तू, पुस्तक को बाँच।।
देख-सम्हल कर, चलें सभी,
राहों में बिखरे हैं, काँच।
क्यों करता तन पर अभिमान
ईश्वर करता सबकी जाँच।
नाच न आए आँगन टेढ़ा,
जीवन में तुम बोलो साँच।
उमर बढ़ी चलो सम्हल कर,
कभी न पथ पर भरो कुलाँच
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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