श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 39 ☆ देश-परदेश – मुगालता ☆ श्री राकेश कुमार ☆
विश्व के किसी भाग में जब भी कोई घटना या परिवर्तन होता है, विशेष रूप से राजनैतिक, हमारे देशवासी तुरंत कोई निष्कर्ष निकाल कर अपने हित साधने लगते हैं।
यूनाइटेड किंगडम से कुछ घंटे पूर्व ज्ञात हुआ कि भारतीय मूल के श्री ऋषि सुनक वहां के आगामी प्रधान मंत्री बनेंगे। हमारा सोशल मीडिया इस समाचार की बाढ़ में साल भर के सबसे बड़े त्यौहार दीपावली को भूल उनसे अपने रिश्ते ढूंढने लगा।
विदेशों में व्यापार करने वाले नए नए सपने संजोने लग गए हैं। उनके परिवार को विदेश में बसे लंबा समय हो जाने के बावजूद लोग उनके पैतृक गांव में ज़मीन महंगी होने के शिगूफे छोड़ रहे हैं।
उनका सुसराल का परिवार भी भारतीय है। हमारे व्हाट्स ऐप माध्यम ने उनकी सात पुश्ते खोज ली हैं। “अपना ऋषि” बोलकर लोग नज़दीकी रिश्तेदार होने का प्रणाम दे रहे हैं। कुछ तो कह रहे हैं अंग्रेजों ने जो महाराजा रंजीत सिंह जी का हीरा ” कोहिनूर” लूटा था, वो कार्तिक की पूर्णिमा (पंद्रह दिन बाद) याने गुरुनानक जयंती तक ऋषि सुनक देश को वापस दिलवा देंगे।
कुछ वर्ष पूर्व श्रीमती कमला हैरिस, अमेरिका की उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुई तो हमारे देशवासी उनको “कमला बुआ” कहने लगे और सोचने लगे जैसे उनके घर की ही बेटी निर्वाचित हुई हो। अमेरिका से ऐसी उम्मीद करने लगे, जैसे मोहल्ले का कोई लड़का जब बैंक में भर्ती हो जाता है, तो वो एक के नोट की गड्डियां प्रतिदिन घर पहुंचा देगा।
गलतफहमी/मुगालता तो बहुत जल्दी से हो जाता हैं। कुछ दिन बाद ही ऐसे लोग हकीकत देखकर परेशान हो जाते हैं। बहुत जल्द खुश होकर मुगालते पालने से तो धीरज रखकर आने वाले समय को पहचानना चाहिए।
© श्री राकेश कुमार
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