श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “पा ल तू।)  

? अभी अभी # 70 ⇒ पा ल तू ? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

संसार को पालने वाला वैसे तो एकमात्र सर्व शक्तिमान परमेश्वर ही है, फिर भी माता पिता संतान को पाल पोसकर बड़ा करते हैं। बच्चे बड़े होकर माता पिता की सेवा तो कर सकते हैं, लेकिन उन्हें पाल नहीं सकते, उनके पालक नहीं बन सकते, उन्हें पालने में झुला नहीं सकते।

आप माता पिता के अलावा चाहे जिसका पालन पोषण कर सकते हैं, उनकी सेवा कर सकते हैं, मूक पशु पक्षी, अनाथ, असहाय, निराश्रित और दिव्यांग सभी इस श्रेणी में आते हैं।।

मनुष्य बड़ा समझदार प्राणी है। वह प्रकृति का दोहन भी करना जानता है और अन्य प्राणियों, पशु पक्षियों का अपने स्वार्थ के लिए उपयोग भी। गाय, भैंस, घोड़ा, हाथी, बकरी और ऊंट को भी उसने नहीं छोड़ा। किसी पर सवारी की तो किसी का दूध निकाला। अरे वह तो इतना दयालु है कि मुर्गी भी पाल लेता है। आखिर मुर्गी अंडे जो देती है।

विडंबना देखिए, पालता वह है, और जिसे पालता है, वह प्राणी पालतू का कहलाता है। शायद पालतू की परिभाषा भी यही है। पहले उसे पाल तू, तब वह कहलाए पालतू। वह तो इतना चतुर है कि उसने इन प्राणियों का वर्गीकरण भी कर डाला है, जंगली और पालतू। जंगली को जंगल में छोड़ और बाकी को, शान से पाल तू।।

वह अपने पेट की खातिर जहरीले सांप तक को पाल लेता है। उसका जहर दवा के रूप में अमृत का काम करता है, सांप नेवले की लड़ाई करवाता है, तमाशा करके दो पैसे भी कमा लेता है। फिर भी आस्तीन के सांप से उसको हमेशा शिकायत बनी रहती है।

आजकल जहां भाई भाई साथ नहीं रहते, हर घर में सास बहू की खटपट चला करती है, निकम्मों को आजकल कोई घास नहीं डालता, फिर भी देखिए इन्हीं घरों में पालतू विदेशी ब्रीड का कुत्ता किस शान से पाला जाता है। घर के हर सदस्य का लाड़ला और चहेता होता है वह और बच्चों की आंख का तारा। उसे कुत्ता कहना इंसानियत का अपमान है। चलो, कोई तो है ऐसा मूक जानवर, जो हमें प्रेम करना सिखला रहा है। हमें नफरत के बजाय प्यार का पाठ पढ़ा रहा है।।

बच्चों को चिड़िया और कुत्ते बिल्ली के बच्चों के साथ खेलना बड़ा अच्छा लगता है। इनके साथ तो बड़े भी बच्चे बन जाते हैं। जब इन्हें पाला जाता है, तब ये भी छोटे ही तो होते हैं। बच्चों के साथ साथ ये भी बड़े होने लगते हैं।

जड़ भगत कहना शोभा तो नहीं देता, लेकिन जब साहब, मेम साहब अथवा कोई नौकर जब सुबह इस प्रजाति को टहलने के लिए ले जाता है, तो हमारा स्वच्छ भारत धन्य हो जाता है। बहुत समझदार है हमारा सीज़र, कभी घर गंदा नहीं करता। बस बाहर जाने का इशारा भर कर देता है। सबै भूमि गोपाल की।।

कुत्ता एक वफादार प्राणी है, फिर चाहे वह सड़क पर रहे, अथवा बंगले में। गाय को तो खैर हमने गऊ माता का दर्जा दिया है, उसकी तो आप सेवा ही कर सकते हो, पाल नहीं सकते। द्वापर में केवल एक गोपाल अवतारित हुआ है, जो केवल छोटी छोटी गैया का ही नहीं, पूरे जगत का पालनहार है।

ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे ;

तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं।

हमरी उलझन, सुलझाओ भगवन् ;

तुमरे बिन हमरा कौनो नाहीं।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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