श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ आलेख ☆ ।। सफलता की कुंजी ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
ईश्वर ने हमें यह जीवन दिया है कि सफलता के साथ हम यह जीवन यापन करें। यह जीवन केवल एक बार मिलता है। इस सफलता कुंजी को जानने से पहले इस अमूल्य जीवन का मूल्य जाने। जीवन में कठिनाई अवश्य हो सकती है मगर जीवन व्यर्थ कदापि नहीं हो सकता। जीवन एक अवसर है श्रेष्ठ बनने का, श्रेष्ठ करने का, श्रेष्ठ पाने का। इस अमूल्य जीवन की दुर्लभता जिस दिन किसी की समझ में आ जाएगी उस दिन कोई भी व्यक्ति जीवन का दुरूपयोग नहीं कर सकता। जीवन एक फूल है जिसमें काँटे भी हैं, मगर सौन्दर्य की भी कोई कमी नहीं। ये और बात है कुछ लोग काँटो को ही कोसते रहते हैं और कुछ सौन्दर्य का आनन्द लेते हैं। जीवन में सब कुछ पाया जा सकता है, मगर सब कुछ देने पर भी जीवन को नहीं पाया जा सकता है। जीवन का तिरस्कार नहीं, अपितु इससे प्यार करो। जीवन को बुरा कहने कीअपेक्षा जीवन की बुराई मिटाने का प्रयास करो, यही बात समझदारी है। यह भी बहुतआवश्यक है कि हम निरंतर ही आत्म समीक्षा व आत्म चिंतन व आत्म विश्लेषण करते रहें।
ध्यान और आत्मचिंतन के लिए सब से जरूरी है समय देनाऔर तत्परता। पर यह कहना कि हमारे पास समय ही नहीं मिलता गलत है। जब नींद आती है, तो तब सारे जरूरी काम छोड़ कर भी सो जाना पड़ता है। जैसे नींद को महत्त्व देते हैं, ऎसे ही चौबीस घंटे में से कुछ समय ध्यान और आत्म चिंतन में भी बिताना चाहिए। तभी हमारा जीवन सार्थक होगा, नहीं तो कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। आत्म अवलोकन से ही हमारी सोच परिष्कृत होती है और यही विचार हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। हमारी पहचान हमारी सोच पर निर्भर करती है, कि हम कितना उच्चकोटि का या निम्नकोटि का सोच सकते हैं। हम लोगों के बीच में अपनी सोच के द्वारा ही पहुँचते है। इस समाज में हमारा क्या स्तर है, ये हमारी सोच पर ही निर्भर करता है। इससे यह कह सकते हैं, कि हमेअपनी सोच के स्तर को ऊपर रखना चाहिये। तभी हमारा जीवन सफल होगा। यह जीवन केवल एक बार मिला है, दुबारा नहीं मिलेगा, इसको निरंतर प्रयास कर सुधारें और इस समय से अनमोल जीवन का मूल्य जानें। एक बात जो सफलता के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है कि सदैव आगे बढ़ने की कोशिश करना क्योंकि भूत काल में कोई भविष्य नहीं होता। गलतियों से सीखना और कोशिश भी करनी है, कि वह गलती पुनः न हो। सबसे जरुरी चीज़ है, आत्मविश्वास और आशा। जब तक यकीन जिन्दा है तब तक आप के जीतने की उम्मीद जिन्दा है। गेम की अंतिम बाल भी परिणाम बदल सकती है। अंत में परिणाम स्वरूप हम कह सकते हैं कि निरंतर अभ्यास व कर्म ही सफलता की कुंजी है। भाग्य का कुल मिलाकर प्रतिशत1%सेअधिक नहीं है। यह बात यदि गाँठ बांध ली तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं है।
© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
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