श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 88 – मनोज के दोहे… ☆
1 सावन
सावन के त्यौहार हैं, पूजन-पाठ प्रसंग।
रक्षाबंधन-सूत्र से, चढ़ें नेह के रंग।।
2 बादल
उमड़-घुमड़ बादल चले, लेकर प्रेम फुहार।
तन-मन अभिसिंचित करें,जड़-चेतन उपकार।।
3 मेघ
मेघ बरसते हैं वहाँ, जहाँ प्रभु घनश्याम।
उनकी कृपा अनंत है, मानव मन विश्राम।।
4 झड़ी
झड़ी लगी आनंद की, गिरिजा-शिव परिवार।
सावन-भादों घर रहें, महिमा अपरंपार।।
5 चौमास
कर्म-धर्म का योग ले, आया है चौमास।
मंगलमय खुशहाल का, माह रहा है खास।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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