श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “बेहतर विकल्प की तलाश“।)
जब हम खुद को सर्वश्रेष्ठ मान बैठते हैं, तो हमारी उन्नति के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं। आज के युग में हर व्यक्ति अपने आपको सर्वगुण सम्पन्न साबित करने में लगा है। बड़बोलापन और अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने के साथ ही अपने आसपास प्रशंसकों और चापलूसों की फौज रही सही कसर भी पूरी कर देती है।
व्यक्तित्व का विकास आजकल मोटिवेशनल स्पीच, महत्वाकांक्षा और परस्पर प्रतिस्पर्धा पर निर्भर हो गया है। सफलता की सीढियां अब कोई नहीं चढ़ता, लिफ्ट और स्वचलित सीढ़ी (escalator) है न। ।
हमारी सफलता और सकारात्मकता का ग्राफ तो जरा देखिए, जहां हमारी पुरानी पीढ़ी परीक्षा में पासिंग मार्क से संतुष्ट हो जाती थी, वहीं आज की पीढ़ी केवल सौ प्रतिशत में विश्वास करती है। सभी बच्चे नर्वस नाइन्टीज के शिकार हैं।
आज विकास और सफलता का फंडा घनघोर सकारात्मकता है। एक शासकीय सर्वे के अनुसार पिछले दस वर्षों में देश में बीस गुना सकारात्मकता बढ़ी है। कुछ नकारात्मक शक्तियां हमें पुनः पीछे धकेलना चाहती हैं, उनसे सावधान रहना जरूरी है। शुभ शुभ सोचने से ही मंगल होता है। अपनी असफलताओं को हमें नज़रअंदाज करते हुए हमारी उपलब्धियों का डंका बजाना है। यही हमारे विकास और सफलता का मूल मंत्र है।
जहां चाह है, वहां राह है। जब विकल्प के सभी रास्ते बंद हों, तब अंधों में काना ही राजा कहलाता है। अंधेर नगरी चौपट राजा से बेहतर है, जो सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध है, उससे ही काम चलाया जाए। ।
आजकल गूगल सर्च हमारा थिंक टैंक हो गया है और आर ओ (R.O.) का पानी हमारा वॉटर टैंक। नदी, तालाब और सरोवर तो सैर सपाटे और पर्यटन के लिए सुरक्षित हैं। व्हाटसप यूनिवर्सिटी मुक्त विश्वविद्यालय का काम कर रही है, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बुद्धि और विवेक को मात दे रही है।
सभी प्रचार माध्यम, सोशल मीडिया और संचार के सभी माध्यम जब सकारात्मकता का संदेश देते हैं, तब धर्म और संस्कृति का मार्ग पुष्ट होता है। बिना शत्रुओं के संहार के कभी विजय रथ विश्व विजय की ओर अग्रसर नहीं होता। किसी की हार में ही हमारी जीत है। हमारी विजय ही धर्म की विजय है, सत्य की विजय है, लोकतंत्र की विजय है।
बेहतर विकल्प की तलाश जारी है।।
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© श्री प्रदीप शर्मा
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