श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक घटना पर आधारित एक भावप्रवण कविता “# प्रतिकार… #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 141 ☆

☆ # प्रतिकार… #

तू मत कर अब क्रंदन

संयमित कर सांसों का स्पंदन

ना कर किसी को वंदन

तोड़ दे सारे बंधन

 

आंसुओं से सैलाब ला

धरती पर वेग से बहा

डुबो दे सारे जग को

तूने हर पल कितना है सहा

 

तूने देखा वो सपना नहीं है

सच्चाई है, कोरी कल्पना नहीं है

इस वहशी खूंखार भीड़ में

तेरा कोई अपना नहीं है

 

यह तेरे नंगें जिस्म की नुमाइश है

तेरी भी इसी कोख से पैदाइश है

कलंकित कर दिया है मानवता को

क्योंकि तू इस भीड़ की फरमाइश है

 

लोक लाज सबने त्याग दिए हैं 

सबने मिलकर मज़े लिए हैं 

एक बेबस, लाचार,निर्बल स्त्री के

भीड़ ने क्या क्या हाल किए हैं 

 

अब तू ,चल उठ,

बन जा दुर्गा और उठा हथियार

तीक्ष्ण कर दे उसकी धार

जब भी हो तेरी अस्मत पर वार

कर इन वहशियों के पुरुषार्थ पर वार 

 

यहां सदियों से ताकतवर का

कमजोर पर अत्याचार है

प्रशासन मौन ओर लाचार है

कब तक सहोगे जुल्म और अन्याय

इसका उपाय खुलकर बस प्रतिकार है  /

(यह रचना मणिपुर की घटना में पीड़ित स्त्री को समर्पित है)

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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