डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 193 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
सुंदर छवि है मोहनी,
प्यारे हो घन श्याम।
मोर मुकुट सिर पर सजे,
लीला धारी श्याम।।
पास बैठकर कृष्ण ने,
लिया मैया से ज्ञान।
नटखट कान्हा सुन रहे,
बातें माँ की ध्यान।।
मैया कहती कृष्ण से,
नहीं बिगाडो काम।
करी शिकायत आपकी,
लेत गोपियाँ नाम।।
यशोदा कहती प्यार से,
सुन लो मेरे लाल।
माखन चोरी करो नहीं,
संग खेलो गुपाल ।।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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