श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 94 – मनोज के दोहे… ☆

आजादी

कैसे कुछ इंसान हैं, मचा रखी है लूट।

आजादी के नाम पर,समझें बम्फर छूट।

उत्कर्ष

योगदान सबका मिला, भारत का उत्कर्ष।

प्रगति और उत्थान से, जन मानस में हर्ष।।

लोकतंत्र

लोकतंत्र बहुमूल्य यह, समझें इसका मूल्य।

राष्ट्र धर्म के सामने, होता सब कुछ  शून्य।।

भारत

भारत ऐसा देश यह, सदियों रहा गुलाम।

किन्तु ज्ञान विज्ञान से, पाया विश्व मुकाम।।

तिरंगा

हाथ तिरंगा थामकर, गूँजी जय-जयकार।

राष्ट्र भक्ति सँग एकता, जनमानस का प्यार।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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