श्री विष्णु प्रकाश श्रीवास्तव
(स्वपरिचय – बचपन से कविता, कहानियों में रुचि। मुंशी प्रेमचंद जी की लगभग सभी उपन्यास एवं कहानियाँ युवावस्था में ही पढ़ी। किसी विषय पर तुरंत कविता बनाने (तुकबंदी) की आदत।)
☆ कविता ☆ बलवान – बलहीन ☆ श्री विष्णु प्रकाश श्रीवास्तव ☆
शेरों का बलिदान न होते सुना।
बकरे बलिवेदी पे चढ़ाये गए ।।
साँपों को दूध पिलाया गया ।
केंचुए कटिए में फंसाए गए।।
टेढ़े पेड़ कभी भी न काटे गए।
सदा सीधे पे आरे चलाये गए।।
बलवान का बाल न बाँका हुआ।
बलहीन धरा पर सताये गए ।।
© श्री विष्णु प्रकाश श्रीवास्तव
पुणे
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈