श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 50 ☆ देश-परदेश – Black Friday ☆ श्री राकेश कुमार ☆
आज शुक्रवार प्रातः काल प्रतिदिन की भांति दैनिक समाचार पत्र को खंगालने का नित्यकर्म करते हुए पूरे पृष्ठ के दो विज्ञापन देख कर कुछ नया सा प्रतीत हुआ। घरेलू विद्युत उपकरण विक्रेताओं द्वारा” ब्लैक फ्राइडे” के नाम से लुभावनी छूट दिए जाने का उल्लेख था। अभी तक तो” गुड फ्राइडे” के बारे में ही सुना हुआ था, कि ईसाई धर्म का पालन करने वाले उस दिन को विशेष मानते हैं। अपने एक ईसाई मित्र से इस बाबत बात भी करी, उसने ब्लैक फ्राइडे के बारे में अपनी अनिभिज्ञता जाहिर कर दी।
पड़ोसी और भ्रमण मित्र मंडली से भी जानकारी ना मिलने पर “सबका सहारा” गुगल से पूछताछ करनी पड़ी। गुगल ने जानकारी दी की ये एक विशेष दिन अमेरिका देश में मनाया जाता है, नवंबर माह के अंतिम शुक्रवार को प्रति वर्ष मनाया जाता है। धन्यवाद ज्ञापन भी अपने परिचितों और नातेदारी में साझा कर औपचारिकता का निर्वहन किए जाने की परंपरा हैं।
वहां का बाज़ार इस मौके को भुनाने के लिए विक्रय दरों में कमी कर बिक्री में वृद्धि कर अपना उल्लू सीधा करता हैं। हमारे अपने इतने त्यौहार और परंपराएं है, कि कभी कभी एक ही दिन में दो / तीन त्यौहार मानने पड़ते हैं।
हम पश्चिम का अनुसरण करने की प्रतियोगिता में हमेशा अव्वल रहते हैं। बाज़ारवाद हमेशा जन साधारण को गुमराह करने के चक्कर में अपनी मौलिकता और पहचान से दूर कर पश्चिम की और अग्रसर करता हैं।
© श्री राकेश कुमार
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