डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं राजभाषा दिवस पर आधारित एक कविता हिन्दी।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 199 – साहित्य निकुंज ☆
☆ राजभाषा दिवस विशेष – हिन्दी ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
अक्षर -अक्षर जोड़कर, बनते शब्द महान।
शब्द- शब्द से हुआ है, ग्रंथों का निर्माण।।
हिन्दी में हम जी रहे, हिन्दी में है शान।
हिन्दी सबसे मधुर है, हिन्दी है पहचान।।
दूर देश में हो रहा, हिन्दी का सम्मान।
हिन्दी में सब बोलते, हिन्दी बड़ी महान।।
हिन्दी हिंदुस्तान के, करे दिलों पर राज।
चमक रहा है भाल पर, है बिंदी का ताज।।
हिन्दी को अब मिल रहा, बड़ा बहुत ही मान।
हिंदी भाषा प्रेम की, मिलता है सम्मान।।
तुलसी सूर कबीर को, मिला बहुत ही नाम।
उनके ही साहित्य पर, हुआ बड़ा ही काम ।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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