प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ हिंदी दिवस विशेष – हिंदी के दोहे ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
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हिंदी में तो शान है , हिंदी में है आन।
हिंदी का गायन करो, हिंदी का सम्मान।।
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हिंदी की फैले चमक, यही आज हो ताव,
हिंदी पाकर श्रेष्ठता, रखे उच्चतर भाव।।
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हिंदी में है नम्रता, देती व्यापक छांव।
नवल ताज़गी संग ले, पाये हर दिल ठांव।।
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दूजी भाषा है नहीं, हिंदी-सी अनमोल।
है व्यापक नेहिल ‘शरद’, बेहद मीठे बोल।।
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हिंदी का बेहद प्रचुर, नित्य उच्च साहित्य।
बढ़ता जाता हर दिवस, इसका तो लालित्य।।
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हिंदी प्राणों में बसे, यही भावना आज।
हर दिल पर करती रहे, मेरी हिंदी राज।।
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हिंदी नित गतिमान हो, सदा करे आलोक।
इसी तरह हरदम प्रथम, फिर मन कैसा शोक।।
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हिंदी मेरा ज्ञान है, यह मेरा अभिमान।
रोक सकेगा कौन अब, इसका तो उत्थान।।
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हिंदी में संवेग है, हिंदी में जयगान।
सारे मिल नित ही करें, हिंदी का गुणगान।।
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हिंदी पूजन-यज्ञ है, हिंदी एक विधान।
हिंदी की हो वंदना, यही आज अरमान।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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