श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “मिलावट और कानून”।)
अभी अभी # 164 ⇒ मिलावट और कानून… श्री प्रदीप शर्मा
हमारा देश कानून से चलता है। मिलावट के खिलाफ तो हमने सन् १९५४ में ही कानून पास कर दिया था, कोई छोटा मोटा कानून नहीं सख्त कानून। और तब से ही देश कानून से ही चल रहा है। कानून अपनी चाल चल रहा है, और मिलावट भी अपनी चाल से चल रही है।
ऐसा नहीं है, कि हमें कानून से डर नहीं है, अथवा हम कानून का सम्मान नहीं करते, लेकिन हमारे यहां मिलावट और कानून के बीच शतरंज का खेल चलता रहता है। दोनों अपनी अपनी चाल चलते रहते हैं। खेल के भी कुछ कायदे कानून होते हैं, आप यूं ही किसी का घोड़ा नहीं मार सकते और घोड़े को ढाई घर चलने से रोक भी नहीं सकते।।
कानून के हाथ जरूर लंबे होते हैं, लेकिन सुना है, वह अंधा भी होता है। मिलावट उसे कहते हैं, जो नजर नहीं आए। दूध में पानी मिलाना भी अपराध है, लेकिन अगर भैंस ही पतला दूध देती है, तो वहां कानून का डंडा काम नहीं करता।
होती है खाद्य पदार्थों और फल सब्जियों में मिलावट, तो आम आदमी क्या करे। अरे भाई उपभोक्ता फोरम भी है, शिकायत दर्ज करो, उनकी नानी याद आ जाएगी। सड़क के ठेले से आपने छः केले खरीदे, आपने उससे बिल भी नहीं लिया, पांच किलोमीटर चलकर घर आ गए। केले पूजा में रख दिए, प्रसाद बांट दिया। केले ऊपर से पीले नजर आ रहे थे, अंदर से पूरे कच्चे। केले कार्बाइड से भी पकाए जाते हैं, और प्राकृतिक तरीके से भी। बाजार में दोनों तरह के केले उपलब्ध हैं, सावधानी में ही समझदारी है।।
खाने का खुला सामान हमारे यहां खुले आम बिकता है, लोग उसे ताजा समझते हैं। नकली घी और नकली मावे से तो प्रशासन भी परेशान है। कहां कहां छापे मारे। अरे साहब भंडारे और पूजा के लिए तो कोई सा भी असली घी चलेगा। इतने सालों से वही तो चलता चला आ रहा है।
मिलावट का सीधा संबंध मुनाफे से होता है। यह मुनाफा कहां से कहां की यात्रा करता है, सब जानते हैं। नुकसान में सिर्फ कानून और उपभोक्ता, यानी आम आदमी रहता है।।
खाद्य पदार्थों में मिलावट और मानक अधिनियम के अंतर्गत लाखों का जुर्माना ही नहीं, मृत्यु दण्ड तक का प्रावधान है, लेकिन कानून आप अपने हाथ में नहीं ले सकते। आप शिकायत कीजिए, कानून अपना काम करेगा। हमारे देश में मिलावटी शराब और फूड पॉइजनिंग से जितनी मौतें हुई हैं, उनकी तुलना में मिलावटी कानून के तहत कितनों को मृत्यु दण्ड मिला है, शायद ही कोई आंकड़ा उपलब्ध हो।
जागो ग्राहक जागो, तो मेरे मॉर्निंग अलार्म की ट्यून ही है। सुबह उठते ही मेरा ग्राहक जाग जाता है, अब और कितना जागूं। उपभोक्ता वह भी नहीं, जो रात दिन मिलावट मिलावट ही भौंकता रहे। सबकी अपनी अपनी मजबूरियां हैं, दूध से धुला कोई नहीं।।
कल ही नेताजी का फोन आ गया गुप्ता जी के पास ! इस बार भंडारे में घी की सेवा का पुण्य आप कमाओगे। दस डब्बे शुद्ध घी भिजवा देना। गुप्ता जी और नेता जी, शतरंज के पुराने खिलाड़ी हैं। पाप पुण्य सब नेता जी के माथे, भिजवा देंगे कोई सस्ता सा ब्रांड, जो शुद्ध नजर आए। दान की बछिया ही तो है।
मिलावट की तरह ही एक बाजार डुप्लीकेट का भी है। ऑटो पार्ट्स हों अथवा अमूल घी, लक्स अंडरवियर और बनियान भी, जो चाहे मिलेगा, कहीं उसी भाव तो कहीं थोड़ा वाजबी, जहां कीमत में सौदेबाजी की जा सके।
हम भी तो कहां आदत से बाज आते हैं। बिल मत देना, कौन सा अचार डालना है बिल का।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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