श्री आशिष मुळे
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 19 ☆
☆ कविता ☆ “राह…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
ना मैं इनका हूँ
ना मैं उनका हूँ
जिनमें जितनी अच्छाई
उतना मैं उनका हूँ
किसी की चाहत
किसी का करार है
किसी का दर्द भी
अच्छाई की निशानी है
सदियों से बना रहें
कहीं सूंखी कहीं गीली
जिसकी सड़क जहां पक्की
राह मेरी वहीं है
शिकायतों के मुकाम हैं
मगर समय बहुत कम है
राहें बदलना समझदारी है
जब मंज़िल अपनी तय है
© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈