श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जो साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक के माध्यम से हमें अविराम पुस्तक चर्चा प्रकाशनार्थ साझा कर रहे हैं । श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका दैनंदिन जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
आज प्रस्तुत है श्री अनूप शुक्ल जी द्वारा संपादित पुस्तक – “आलोक पुराणिक-व्यंग्य का ATM” पर चर्चा।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 151 ☆
☆ “आलोक पुराणिक-व्यंग्य का ATM” – संपादन अनूप शुक्ल ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆
कृति चर्चा
पुस्तक – आलोक पुराणिक व्यंग्य का ATM
संपादन – श्री अनूप शुक्ल
प्रकाशक – रुझान पब्लिकेशंस, जयपुर
मूल्य – १७५ रु
चर्चा … विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल
☆ आलोक पुराणिक व्यंग्य का एटीएम … विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆
हास्य एवं व्यंग्य समय की अत्यंत लोकप्रिय विधा के रूप में स्थापित होता जा रहा है । आलोक पुराणिक हिंदी ब्लॉगिंग के प्रारंभ से ही सक्रिय व्यंगकार हैं । प्रायः सभी समाचार पत्रों में उनके व्यंग्य पढ़ने को मिलते हैं। देश के लगभग 32 प्रसिद्ध व्यंग्यकारों ने अपने मंतव्य आलोक पुराणिक जी के विषय में इस कृति में संकलित किए हैं। साथ ही आलोक पुराणिक की 16 लोकप्रिय व्यंग कृतिया भी किताब में संकलित है । संपादक अनूप शुक्ल जी ने विभिन्न विषयों पर आलोक पुराणिक से साक्षात्कार लेकर उसे भी प्रश्न उत्तर के रूप में किताब में संग्रहित किया है ।इस किताVब को पढ़ने से आलोक पुराणिक की रचना प्रक्रिया उन के व्यंग के सफ़र के विषय में ऐसी जानकारी मिलती है जिससे नए व्यंग्यकार प्रेरणा ले सकते हैं। किताब मनोरंजक है और पढ़ने योग्य है। ईबुक के रूप मे भी पुस्तक किंडल पर सुलभ है ।
समीक्षक।
चर्चाकार… विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
समीक्षक, लेखक, व्यंगयकार
ए २३३, ओल्ड मीनाल रेसीडेंसी, भोपाल, ४६२०२३, मो ७०००३७५७९८
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈