श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय व्यंग्य – बैठे ठाले – ‘जीवन का प्रश्नपत्र’)

☆ व्यंग्य – “बैठे ठाले – ‘जीवन का प्रश्नपत्र’…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय

“कौन कौन आता है चौखट पर तेरी… एक बार अपनी मौत की अफवाह उड़ा के तो देख…!”

सोशल मीडिया और झूठ की दुनिया में अपवाह फैलाना आम बात है, समय बहुत तेजी से उछल कूद कर रहा किसी के पास समय नहीं है, बधाई और शोक संदेश जल्द से जल्द देने की प्रतिस्पर्धा चल रही है इन दिनों एक ही विभाग में काम करते थे कमल कुमार गुप्ता और कमल गुप्ता। एक उसी विभाग में एकाउंटेंट थे और दूसरे उस विभाग में स्टोनो तो थे ही, थोड़ा लिखने पढ़ने के शौक के कारण शहर के बहुत लोग उन्हें साहित्यकार के रूप में भी जानते थे। शहर में किसी को पता चला कि कमल नहीं रहे, चूंकि एक दिन पहले की खबर थी और शहर में किसी को कोई खबर नहीं थी इसलिए इस प्रतिस्पर्धा के दौर में बाजी मार लेने के भाव से उनके दोस्त ने बिना पता किए बुद्धिजीवियों के सोशल मीडिया के एक ग्रुप में लिख दिया, फलाने विभाग से सेवानिवृत्त हिन्दी के साहित्यकार श्री कमल कुमार गुप्ता जी का निधन परसों हो गया था और कल उनकी अंत्येष्टि भी हो गई। उनको विनम्र श्रद्धांजलि,ओम शान्ति शान्ति।

विनम्र श्रद्धांजलि देने में कहीं देर न हो जाए इसलिए लोगों ने फटाफट ग्रुप में लिखना चालू कर दिया……पहले ने तुरंत लिखा ‘यह दुखद व सदमा पहुंचाने वाली जानकारी है। श्रद्धांजलि’।

आजकल सोशल मीडिया के ग्रुपों का हाल लडैया जैसा हो गया है, शाम के बाद एक लडैया हुआ..हुआ.. करना जैसे चालू करता है सब लडैया हुआ। हुआ करने लगते हैं। इसीलिए दूसरे ने बिना देर किए लिख दिया “बेहद दुःखद  समाचार, दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने चरणों में स्थान प्रदान करे।”

तीसरा क्यों चूकने वाला था बिना पता किए लिख डाला.. अरे।..बहुत ही तकलीफदेह समाचार है। 

विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है। (हालांकि ये सज्जन जीवन भर गुप्ता जी को गालियां देते रहे और गुप्ता जी की कविताओं की आलोचना करते रहे)

गुप्ता जी के आकाशवाणी के टरकाऊ मित्र ने लिखा -‘ यह तो हृदयविदारक और शोकसंतप्त करने वाली अत्यंत दुखद सूचना है। उनके जैसे सक्रिय और लोकप्रिय व्यक्तित्व के देहावसान की जानकारी अपेक्षाकृत विलम्ब से सार्वजनिक होने पर भी आश्चर्य है, अफ़सोस है। उनके साथ आकाशवाणी के अपने सेवाकाल यानी में निरंतर जीवंत सम्पर्क और संवाद होता रहता था। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में उनसे एक-दो बार बहुत संक्षिप्त भेंट हुई थी और इत्मीनान से मिलने की उम्मीद बंधी थी। उनकी स्मृति को सादर नमन और अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

आकाशवाणी वाले की टिप्पणी पढ़कर एक कलाकार (जिनको रेडियो से कान्ट्रेक्ट नहीं मिल रहे थे) ने बिना देर किए लिखा – विडंबना है कि जिस व्यक्त‍ि ने एक फेमस अंग्रेजी नाटक का हिंदी में रूपांतरण किया हो। जिस व्यक्ति की लिखी कविताओं को पढ़कर कितने ही लोग धुआंधार में कूद गए, जिनकी कविताओं को पढ़कर दहेज देने से बाप ने इंकार कर दिया था, उनका निधन परसों हो गया। कल उनकी अंत्येष्ट‍ि भी हो गई  लेकिन शहर में किसी को सूचना तक नहीं हुई। फिर भी उनको विनम्र श्रद्धांजलि।

नाटक की बात पढ़कर एक नाटक के डायरेक्टर ने तुरंत लिखा – यह स्तब्ध कर देने वाली बात है। जिस शहर को हम जानते-पहचानते थे, वह ऐसा तो नहीं था। इसीलिए बार बार  विनम्र श्रद्धांजलि।

विभाग के बड़े अधिकारी को जब पता चला कि ऐसा हो गया है तो उन्होंने खबर देने वाले से जरूर पूछा कि हमारे अंडर में दो गुप्ता थे दोनों का नाम कमल था। खबर देने वाले ने कहा – सर आप तो बहती गंगा में हाथ धो लो जो मरे होंगे उन पर आपकी श्रद्धांजलि लागू मानी जाएगी ,सो बड़े साहब ने ग्रुप में लिख दिया -मेरी जानकारी के अनुसार हमारे विभाग के डायरेक्टर जी की लोकसाहित्य पर केन्द्रित पुस्तक में भी स्वर्गीय गुप्ता जी ने महती योगदान किया था, बेचारे अच्छे आदमी थे काम में जरूर थोड़ा कमजोर थे पर ड्यूटी चोर नहीं थे, उनके जैसे लोगों की देश को बहुत ज़रूरत है, उनकी आत्मा की शान्ति के लिए मैं प्रार्थना करता हूं।ओम शान्ति शान्ति।

धड़ाधड़ इतनी सारी टिप्पणी देखकर एडमिन अचंभित हो गये, चूंकि एडमिन भी कवि हृदय थे तो उन्होंने विनम्र श्रद्धांजलि लिखकर एक कविता ठोंक दी।

एक सज्जन अपने लोगों के मरने का इंतजार करते रहते थे और जैसे ही किसी के मरने की खबर आयी अपनी पुरानी फाइल से कोई चीज निकालकर श्रद्धांजलि के साथ चिपका देते थे, अचानक उनको फाइल में एक पुराना ब्रोशर मिला जिसमें नाटक में कमल कुमार गुप्ता के नाम का जिक्र है। तुरंत श्रद्धांजलि के साथ ग्रुप में ब्रोशर की फोटोकापी ने ग्रुप में हड़कंप मचा दिया। कुछ लोगों ने सोचा वाकई ये आदमी जब इतना महान था तो इतने जल्दी क्यों मर गया इसीलिए ऐसे आदमी को झूठ-मूठ की श्रद्धांजलि लिख देने में अपना क्या जाता है सो कईयों ने जबरदस्ती ओम शान्ति और विनम्र श्रद्धांजलि लिख लिखकर पोस्ट की संख्या बढ़ा दी,रात हो गई,सब सो गए, किसी ने भी किसी गुप्ता को फोन नहीं किया न उनके घर गये।बात आई और गई…. बहुत दिन बीत गए। 

मैं गुप्ता जी के तेरहवीं की सूचना के कार्ड का इंतजार करता रहा, फिर छै सात दिन बाद मैंने सोचा कि  गुप्ता जी की श्रीमती जी को फोन करके उनकी तेरहवीं की तारीख पूंछ लूं , जैसे ही फोन लगाया और पूछा कि भाभी जी गुप्ता जी को क्या हो गया था ?

उन्होंने कहा -कुछ नहीं अभी तो वे कविता लिख रहे हैं मैं आपकी उनसे बात करातीं हूं।

मैं दंग रह गया था थोड़ा चक्कर जैसा जरूर आया फिर मैंने अपने आपको संभाल लिया,उधर से गुप्ता जी की आवाज आयी,बोले – मैं आप सब लोगों से बहुत नाराज हूं आप लोगों ने अभी तक शोकसभा आयोजित नहीं की, मैं इंतजार कर रहा था कि जिस दिन शोकसभा होगी, मैं भी छुपकर सबकी बातें सुनूंगा पर मेरी आखरी इच्छा का आप लोगों ने बिल्कुल ध्यान नहीं रखा….

मैंने फोन बंद कर दिया था, मुझे समझ आ गया था कि निधन दूसरे कमल का हुआ होगा और जल्दबाजी में इनके दोस्त ने इनको समझ लिया होगा। फिर बार बार साहित्यकार कमल कुमार गुप्ता का फोन बजता रहा, मैंने नहीं उठाया…

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments