सुश्री दीपा लाभ 

(सुश्री दीपा लाभ जी, बर्लिन (जर्मनी) में एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। हिंदी से खास लगाव है और भारतीय संस्कृति की अध्येता हैं। वे पिछले 14 वर्षों से शैक्षणिक कार्यों से जुड़ी हैं और लेखन में सक्रिय हैं।  आपकी कविताओं की एक श्रृंखला “अब वक़्त  को बदलना होगा” को हम श्रृंखलाबद्ध प्रकाशित करने का प्रयास कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है इस श्रृंखला की अगली कड़ी।) 

☆ कविता ☆ अब वक़्त  को बदलना होगा – भाग – 5 सुश्री दीपा लाभ  ☆ 

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ओ हिंसा के पक्षधरो सुनो

अहिंसा कोई कमज़ोरी नहीं

जब तक संभव हो, संयम रखो

संहार जुर्म का इलाज नहीं

यहाँ अंगुलिमाल सरीखे दानव

बुद्ध के अनुयायी बनते हैं

और मतवाले हाथी भी

संयम से ही तो सँभलते हैं

न्याय के नाम पर हे मानव

अन्याय को ना बढ़ने दो

तुम देश-समाज से ऊपर नहीं

मानवता की कुछ लाज रखो

हर जंग रणभूमि में हो

ऐसी तो कोई रीत नहीं

मन के विकार मिटाने को

मन में भी द्वंद चलने दो

प्रहार करो अपराध पर तुम ,

अपराधियों को सुधरने दो

यह अंतर आज समझना होगा

अब वक़्त को बदलना होगा

© सुश्री दीपा लाभ 

बर्लिन, जर्मनी 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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