श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपके “अदले बदले की दुनियाँ…”।)

☆ तन्मय साहित्य  #206 ☆

☆ अदले बदले की दुनियाँ… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

साँझ ढली सँग सूरज भी ढल जाए

ऊषा के सँग, पुनः लौट वह आए।

 

अदले बदले की

दुनिया के हैं रिश्ते

जो न समझ पाये

कष्टों में वे पिसते,

कठपुतली से रहे, नाचते पर वश में

स्वाभाविक ही, मन को यही लुभाये….

 

थे जो मित्र आज

वे ही हैं प्रतिद्वंदी

आत्म नियंत्रण कहाँ

सभी हैं स्वच्छंदी,

अतिशय प्रेम जहाँ, ईर्ष्या भी वहीं बसे

प्रिय अपने ही, झूठे स्वप्न दिखाए….

 

चाह सभी के मन में,

आगे बढ़ने की

कैसे भी हो सफल

शिखर पर चढ़ने की,

खेल चल रहे हैं, शह-मात अजूबे से

समय आज का, सबको यही सिखाए….

 

आदर्शों को पकड़े

अब भी हैं ऐसे

कीमत जिनकी आँके

वे कंकड़ जैसे,

हर मौसम के वार सहे,आहत मन पर

रूख हवा का, समझ नहीं जो पाये….

उषा के सँग, पुनः लौट वह आए।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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