डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे … चाँद।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 207 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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☆ झील ☆
आँखें नीली झील हैं, दिखता इनमें प्यार।
नैन तरसते रात-दिन, अपना लो तुम यार।।
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☆ माली ☆
उजड़ी बगिया देखकर, माली हुआ उदास।
मन भावों की खाद से, बगिया हुई उजास।।
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☆ माया ☆
माया जिसके पास है, डाले प्यारा जाल।
फंसा जो इस चाल में, उधड़ी उसकी खाल।।
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☆ संयम ☆
संयम जिसने रख लिया, पाई मंजिल पास।
डिगा नहीं कर्तव्य से, जीवन बना उजास।।
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☆ प्रसाद ☆
प्रभु के दर्शन कर लिए, मिलता नयन प्रसाद।
मोहन मन को मोहते, मिले नेह का स्वाद।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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