श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “सड़कों पर उड़ती है धूल…” । आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 113 – सड़कों पर उड़ती है धूल… ☆
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सड़कों पर उड़ती है धूल।
खिला बहुत कीचड़ में फूल।।
मजहब का बढ़ता है शोर,
दिल में चुभे अनेकों शूल।
मँहगाई का है बाजार,
खड़ी समस्या कबसे मूल।
नेताओं की बढ़ती फौज,
दिखे कहाँ कोई अनुकूल।
सीमाओं पर खड़े जवान,
बँटवारे में कर दी भूल।
हुए एक-जुट भ्रष्टाचारी,
राजनीति में उगा बबूल।
जाति-पाँति की फिर दीवार,
हिली एकता की है चूल।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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