श्री राजेन्द्र तिवारी

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी जबलपुर से श्री राजेंद्र तिवारी जी का स्वागत। इंडियन एयरफोर्स में अपनी सेवाएं देने के पश्चात मध्य प्रदेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर थाना प्रभारी के पद पर रहते हुए समाज कल्याण तथा देशभक्ति जनसेवा के कार्य को चरितार्थ किया। कादम्बरी साहित्य सम्मान सहित कई विशेष सम्मान एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा वार्ताएं प्रसारित। हॉकी में स्पेन के विरुद्ध भारत का प्रतिनिधित्व तथा कई सम्मानित टूर्नामेंट में भाग लिया। सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहा। हम आपकी रचनाएँ समय समय पर अपने पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता तिरंगे में लिपटे बेटे की माँ…’।)

☆ कविता – 🇮🇳 तिरंगे में लिपटे बेटे की माँ… ☆

देश की सीमा पर ,शहीद बेटे को, तिरंगे में लिपटा देख कर,मां की आखों से आंसू नहीं गिरते, वो एकटक अपने शहीद बेटे को तिरंगे में लिपटा देखती रहती है, मां की अभिव्यक्ति……

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सज के तिरंगे में, आया है मेरा लाल,

कोई नजर उतारो.

सीमा पर मस्तक ऊंचा कर,सोया   है मेरा लाल,

कोई नजर उतारो.

बचपन से ही वर्दी में वो,

घर में खेला करता था,

जान देश की,देश को दूंगा,

सबसे कहता फिरता था,

आज उसी वर्दी में आया,

करके ऊंचा भाल,

कोई नजर उतारो.

सदा कहा करता था मां,

तेरा कर्ज उतारूंगा,

सीने पर गोली खाऊंगा,

तुझको न लजाऊंगा,

सीने पर झंडा लेकर,

सोया है मेरा लाल,

कोई नजर उतारो.

ईश्वर तुमने कोख में मेरी,

कमी अगर न की होती,

मातृ भूमि पर शीश चढ़ाने,

सारे बेटे दे देती,

रक्त भरी सीमा की मिट्टी,

पाकर हुई निहाल,

कोई नजर उतारो,

सज के तिरंगे में,आया है मेरा

लाल,

कोई नजर उतारो,

कोई नजर उतारो…

© श्री राजेन्द्र तिवारी  

संपर्क – 70, रामेश्वरम कॉलोनी, विजय नगर, जबलपुर

मो  9425391435

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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