श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है बाल गीत – मेरे पप्पा…। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 202 ☆
☆ बाल गीत – मेरे पप्पा.. ☆ श्री संतोष नेमा ☆
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पप्पा मेरे सबसे प्यारे
लगते मुझको सबसे न्यारे
पप्पा मेरे सबसे प्यारे
*
घोड़ा बन कर मुझे घुमाते
कंधों पर अपने बैठाते
लाते खूब खिलौने मुझको
कहते मुझे आँख के तारे
*
पप्पा ने चलना सिखलाया
अंदर खुद विश्वास जगाया
बच्चे बन कर खुद ही मेरे
साथ खेलते कभी न हारे
*
मेरे पप्पा सबसे सच्चे
बच्चों के संग बनते बच्चे
वे जीवन बगिया के माली
याद सभी पल संग गुजारे
*
मेरी सांस सांस में पप्पा
मेरी बात बात में पप्पा
रग-रग में है खून उन्हीं का
देते हैं संतोष सहारे
पप्पा मेरे सबसे प्यारे
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© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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