श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है एक बाल गीत – बरखा रानी बड़ी सुहानी। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 205 ☆
☆ एक बाल गीत – बरखा रानी बड़ी सुहानी ☆ श्री संतोष नेमा ☆
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बरखा रानी बड़ी सुहानी
छम छम बरसाती है पानी
बरखा रानी बड़ी सुहानी
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बरसे जब आती हरियाली
खुशी किसान झूमते माली
प्यासे पपीहे झूम के बोलें
आगई अब रुत मस्तानी
बरखा रानी बड़ी सुहानी
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मेढक टर टर कर चिल्लायें
पशु – पक्षी झूमें इतराएं
गाँवों में खेलते खूब गपन्नी
नानी सुनाती नई कहानी
बरखा रानी बड़ी सुहानी
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इक कागज की नाव बनाते
पानी में जब उसे बहाते
चली हवा बादल जब गरजे
पानी में तब नाव समानी
बरखा रानी बड़ी सुहानी
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कोयल मीठे गीत सुनाती
पक्षी कलरव सबको भाती
कारे बदरा झूम- झूम कर
बरसें खूब जमीं हर्षानी
बरखा रानी बड़ी सुहानी
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© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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