डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं आपकी कविता बसंत…।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 224 – साहित्य निकुंज ☆
☆ बसंत… ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
बसंत आता है
मन को लुभाता है
चहुँ ओर
फ़ैल रही है हरियाली
झूम रही है डाली डाली
धरती ने हरीतिमा का किया शृंगार
मन में उठी उमंग की फुहार
प्रेम प्यार की कोपलें फूटी
खिलने लगे फूल और कलियाँ
छा गई सब ओर खुशियाँ
फ़ैली है बसंत की महक
गूंज रही पक्षियों की चहक
जीवन में खिलने लगे नये रंग
लगा लिया कलियों ने अंग
देखो आ गया बसंत
आ गया बसंत।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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