श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 109 ☆
☆ मुक्तक – ।। मत होना मायूस कभी जीवन में कि सौगात बहुत है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
खुशी होकर जियो जिंदगी में जज्बात बहुत है।
मिलेगा बहुत कुछ इसमें सौगात बहुत है।।
पर वाणी में रखना तुम मिठास बहुत ही।
बात की चोट से यहाँ पर आघात बहुत है।।
[2]
न गुम रहना अतीत में यादों की बारात बहुत है।
मत होना मायूस खुशियों की अफरात बहुत है।।
बना कर रखना तुम अपने रिश्ते नातों को।
अपनों के खोने पाने की भी मुलाकात बहुत है।।
[3]
समय से चलना मिलके वक्त की रफ्तार बहुत है।
रखते मस्तिष्क को ठंडा उन्हें सत्कार बहुत है।।
क्रोध अहम को त्यागना ही उत्तम है यहाँ पर।
व्यर्थ बातों की भी जीवन में शुमार बहुत है।।
[4]
पैदा करनी शांति कि घृणा का रक्तपात बहुत है।
करना नहीं विश्वास धोखे की खुराफात बहुत है।।
बढ़ाना है आदमी से ही आदमी का प्यार यहाँ पर।
जिंदगी में बिन वजहआंसुओं की बरसात बहुत है।।
[5]
मत तोड़ना विश्वास यहाँ घात प्रतिघात बहुत है।
कोशिश करे आदमी तो अच्छा हालात बहुत है।।
जीत रखना जीवन में बहुत ही संभाल कर तुम।
गर कभी मन हार गए तो फिर मात बहुत है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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