श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “संतुलन (Balance)“।)
अभी अभी # 361 ⇒ संतुलन (Balance) श्री प्रदीप शर्मा
आर्थिक संतुलन के लिए जिस तरह हमारे खाते में समुचित बैलेंस जरूरी होता है, ठीक उसी तरह एक व्यवस्थित जीवन का आधार भी संतुलन ही है,
जिसमें संतुलित आहार से लगाकर बोलचाल, रहन सहन और आचार विचार तक शामिल है। हमारे मानसिक संतुलन को ही तो हमने मति, समझ और बुद्धि का नाम दिया है। फिर भी इंसान की कभी मति मारी जाती है, और कभी मति, फिर भी जाती है। विनाश काले विपरीत बुद्धि।
तराजू को हम तुला अथवा balance भी कहते हैं।
तराजू के दो पलड़े होते हैं, जब दोनों पलड़े बराबर होते हैं, तब सौदा खरा और सच्चा होता है। हमारे न्याय की देवी के हाथ में भी इंसाफ का तराजू होता है, और आंखों पर काली पट्टी बंधी होती है। निर्माता निर्देशक बी.आर.चोपड़ा को कानून से इतना प्यार था कि उन्होंने सन् १९६० में पहले एक अपराध फिल्म कानून बनाई। फिर भी उनका मन नहीं भरा और सन् १९८० में पुनः एक बार इंसाफ का तराजू फिल्म बना डाली।
लोगों का क्या है, वे तो अंधा कानून जैसी फिल्म भी देख लेते हैं। ।
बाबू जी धीरे चलना,
प्यार में ज़रा संभलना
बड़े धोखे हैं इस राह में ..
सिर्फ प्यार में ही नहीं, जीवन की राह में, हर मोड़ पर हमें संभलकर ही चलना होता है, और फिसलते वक्त अपना संतुलन भी कायम रखना पड़ता है। अपने आप पर काबू रखना, आपा नहीं खोना, हर तरह की सावधानी बिना mental balance के संभव नहीं। सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
मानसिक संतुलन को आप मनोयोग भी कह सकते हैं। आज रपट जाएं, तो हमें ना उठइयो ! फिसलना, रपटना किसी के लिए खेल हो सकता है। बगीचे की फिसल पट्टी पर फिसलने और झूला झूलने में, बच्चों को डर लग सकता है, लेकिन फिर बाद में धीरे धीरे उसकी आदत पड़ जाती है। कई बार सड़क पर वाहन चलाते चलाते, एकाएक बैलेंस बिगड़ जाता है, और हम धड़ाम से गिर जाते हैं। ।
बैलेंस अथवा संतुलन एक तरह का मानसिक अनुशासन है, जो हमारे स्वस्थ समाज का निर्माण करता है। जीवन की सभी विसंगतियों की जड़ में संतुलन और अनुशासन का अभाव होता है। फिल्म मासूम(१९६०) का यह गीत शायद यही संदेश देता है ;
हमें उन राहों पर चलना है।
जहाँ गिरना और संभलना है।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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