डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 231 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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तपकर बालक धूप में, करता श्रम मजदूर।
ईट उठाए शीश पर, है कितना मजबूर।।
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खातिर अपने पेट की, सहे धूप की मार।
उसे न्याय मिलता नहीं, होती उसकी हार।।
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बुनता सपने रात दिन, होते चकनाचूर।
अपनों का आश्रय नहीं, जीने को मजबूर।।
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खून पसीना एक कर, नेक करें वो काम ।
श्रमिकों के पुरुषार्थ से, बढ़े देश का नाम।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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