श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “जुमला”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 177 ☆

☆ # “जुमला” #

एक उम्मीदवार से

उसके समर्थक ने पूछा -?

आपको इस बार

यह क्या सूझा ?

आप हर बार

एक नया नारा देते हो

हम को सम्मोहित कर

हमारा वोट लेते हो

आपने पिछली बार

जो कसमें खाई  हैं 

वो अब तक नहीं निभाईं हैं 

इस बार नयी ग्यारंटी

और नये नये वादे हैं 

क्या वाकई इसे

पूरा करने के इरादे हैं  ?

या यह भी हमेशा की तरह

मन लुभावना

हवा का झोंका है  ?

या हमारी भावनाओं के साथ

एक खूबसूरत धोका है ?

 

उम्मीदवार ने कहा – भाई!

आपका और हमारा

जनम जनम का साथ है

आपकी हमारी

आपस की बात है

जब तक आपका

हमारे हाथ में हाथ है

तब तक

हमारे सर पर ताज है

आपके बिना हमारी

क्या औकात है ?

कसमें, वादे, लगायें गये नारे

समय ने किये इजाद हैं 

चुनाव जीतने के बाद

किसको रहते याद है

पक्ष हो या विपक्ष

सब एक ही प्रवाह के धारे हैं 

चुनाव जीतने के फंडे सारे हैं 

जनकल्याण के सिध्दांत को, कानून को ,

मानता कौन है

खुद ही सिध्दांत, खुद ही कानून है

सब गिरगिट है यहां

इसलिए बस मौन है

 

भाई !

यहां सब दाग़दार हैं 

जिन्होंने वर्षों से

प्रजातंत्र को कुचला था

अगर आज आप

उनसे पूछोगे –

आपका कथन

कितना सही – कितना झूठ था ?

तो बेशर्मी से कहेंगे

भाई ,

वो तो एक जुमला था /

*

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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