श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ “जय प्रकाश के नवगीत ” के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “दर्द हुआ घायल (पुराना गीत)…” ।)
जय प्रकाश के नवगीत # 54 ☆ दर्द हुआ घायल (पुराना गीत)… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव ☆
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मन के आँगन में हलचल
शायद दुख ने करवट बदली
दर्द हुआ है घायल।
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आँखों ने पिए सभी आँसू
पलकों ने गीलापन
सपने बुझे-बुझे से दीपक
खोज रहे उजलापन
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उम्र बहे गालों पर ऐसी
ज्यों विधवा का काजल।
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अब तो धुँधवाती सी भर है
अपनेपन की समिधा
होम हुए जा रहे प्राण हैं
साँसों की पा सुविधा
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धू-धू करके जला आग में
संबंधों का काठ महल ।
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© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
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