श्री आशीष गौड़

सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री आशीष गौड़ जी का ई-अभिव्यक्ति में स्वागत है।

आपका साहित्यिक परिचय आपके ही शब्दों में “मुझे हिंदी साहित्य, हिंदी कविता और अंग्रेजी साहित्य पढ़ने का शौक है। मेरी पढ़ने की रुचि भारतीय और वैश्विक इतिहास, साहित्य और सिनेमा में है। मैं हिंदी कविता और हिंदी लघु कथाएँ लिखता हूँ। मैं अपने ब्लॉग से जुड़ा हुआ हूँ जहाँ मैं विभिन्न विषयों पर अपने हिंदी और अंग्रेजी निबंध और कविताएं रिकॉर्ड करता हूँ। मैंने 2019 में हिंदी कविता पर अपनी पहली और एकमात्र पुस्तक सर्द शब सुलगते ख़्वाब प्रकाशित की है। आप मुझे प्रतिलिपि और कविशाला की वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं। मैंने हाल ही में पॉडकास्ट करना भी शुरू किया है। आप मुझे मेरे इंस्टाग्राम हैंडल पर भी फॉलो कर सकते हैं।”

आज प्रस्तुत है आपका एक ज्ञानवर्धक एवं विचारणीय आलेख साहित्य के बदलते “आयाम”!… जन जन तक पहुँचती “कलम”!

☆ साहित्य के बदलते “आयाम”!… जन जन तक पहुँचती “कलम”! ☆ श्री आशीष गौड़

साहित्य क्या है? साहित्य लैटिन शब्द साहित्य से बना जिसका अर्थ है ‘अक्षर’| इसका शब्दिक अर्थ है अक्षरो का उपयोग।साहित्य, पश्चिम में, सुमेर के दक्षिणी मेसोपोटामिया क्षेत्र (लगभग 3200 BC) में उरुक शहर में उत्पन्न हुआ और मिस्र में, बाद में ग्रीस में (लिखित शब्द फिलीशियनों से शुरू हुआ था) और वहां से रोम में फला-फूला। .दुनिया में साहित्य की पहली कृति, जिसे इसी नाम से जाना जाता है, उर के उच्च-पुरोहित एनहेदुआना (2285-2250 ईसा पूर्व) जहां, सुमेरियन देवी इन्ना की स्तुति में भजन लिखे गए थे।

मध्यकाल में, कन्नड़ और शास्त्रीय में साहित्य क्रमशः 9वीं और 10वीं शताब्दी में सामने आया। बाद में मराठी, गुजराती, बंगाली, असमिया, उड़िया और मैथिली में साहित्य सामने आया। इसके बाद हिंदी, फ़ारसी और उर्दू की विभिन्न बोलियों में भी साहित्य छपने लगा।

हिंदी भाषा का पहला साहित्य था पृथ्वीराज रासो जो 1170 ई. में आया |हिंदी साहित्य के इतिहास-लेखन का गंभीर एवं उल्लेखनीय प्रयास पं. रामचन्द्र शुक्ल ने किया था। उनके द्वारा लिखित—हिन्दी साहित्य का इतिहास, यह विषय एक शास्त्रीय पुस्तक है। इसकी शुरुआत में उनकी एक और महत्वपूर्ण कृति-हिंदी शब्द सागर की भूमिका लिखी गई थी।

पहले साहित्य लिखने वाले लोग भाषा के और व्याकरण के प्रकांड पंडित थे |साहित्यकार अनेक लेख और कथा कहानियां लिखते थे जो पुराणिक भारत की, इतिहास से जुड़े या धर्म से मेल खाती कहानी लिखते थे | ये साहित्य सर्व व्यापी नहीं था | साहित्य उस समय सिर्फ उन्ही लोगों ने ही पढ़ा था जो या तो साहित्य से जुड़े थे, साहित्य पढ़ते थे फिर साहित्य पढाते थे | जन साधारण में साहित्य इतना सर्वव्यापी नहीं रहा | जन साधारण सिर्फ धर्म और पौराणिक रीतियों से जुड़ी कहानियाँ ही पढ़ता रहा |इसका एक पहलू यह भी हो सकता है कि पुराण बहिरवर्ती थे और वेद अंतरवर्ती थे | जब सामाजिक सोच बहिर्वर्ती से अंतरवर्ती हुई तभी साहित्य ने भी नई राह पकड़ी |

भारत में साहित्य का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविध है। साहित्य इतिहास , भारतीय संस्कृति, साध्य, लोक कथाएँ और रीति रिवाज़ के साथ गहरा जुड़ा हुआ है। यह अनेक वर्णमाला में लिखी गई है, जैसे कि संस्कृत, हिंदी, अरबी, तमिल, जनजाति, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, आदि।

साहित्य एक ऐसा साधन है जो समय के साथ बदलता रहता है, और इसमें समाज, संस्कृति और व्यक्तित्व के मानक आयाम हैं। हिंदी के भाषा साहित्य समाज  इसी दिशा में साहित्य को नए आयामों तक ले गए हैं। प्राचीन काल की उत्पत्ति से लेकर आधुनिकता और विज्ञान के युग तक, हिंदी साहित्य में समाज के लोकतंत्र का चित्रण किया गया है।

जैसी जैसी भाषा बदली और भाषा में नए प्रयोग किए गए वैसे वैसे साहित्य भी बदलता गया|साहित्य धार्मिक और इतिहास कथाओं से बदल कर अब सामाजिक, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक विषयों पर लिखा जाने लगा | बदलते समाज की नई तस्वीर साहित्य का हिस्सा बानी और कथाकारो ने अपने हिसाब से नवीन समय के समाज को सार्थक दिशा की तरफ मोड़ने के लिए जो प्रयोग किया वह भी साहित्य का हिस्सा बन गया |

धीरे धीरे साहित्य बदल रहा था |

प्राचीन काल के साहित्यकार जैसे कबीर, सूर दास और तुलसीदास जी ने जहां भक्ति काल का साहित्य रचा | वही उनके आगे आए रहीम जिन्होंने सत्य, प्रेम और मानवता के मुद्दे को अपने साहित्य में उकेरा | प्रेमचंद के लेखन ने गाव , देहात और समाज के गरीब और पिछड़े वर्ग की रोज़ मर्रा की जीवन गाथा को कहानियों में पिरोया। तो वही निराला, बच्चन, और मुक्ति बोध ने नई धारा को प्रवाह दिया |

आज के युग का साहित्य |

आज के समय के अनुभव, सामाजिक समीक्षा, तकनीकी बदलाव और तरक्की आज के साहित्य के बदलते चेहरे की वजह है |आज की राजनीतिक हवा और क्षेत्रीय समीक्षा भी आज के साहित्य का बड़ा हिस्सा है |आज का साहित्य सर्वव्यापी है | आज के साहित्य और काव्य की लिपि निजी है, और उसका मुख्य कारण कला का विकेंद्रीकरण और कैनवास का लोकतंत्रीकरण है |कविता की लोकप्रियता, लेख में तिरोहित विचारधारा और साहित्य में राजनीति और सामाजिक जागरूकता की खिचड़ी सबके घर परोसी जाए और सबका स्वाद वापस फिर रसोई घर और रसोईये को पता लगे इसका पूरा श्रेय है हैशटैग # की ताकत |

कला का विकेंद्रीकरण और कैनवास का लोकतंत्रीकरण

आज का साहित्य और कला दोनों ही समाज के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करने का एक माध्यम हैं। कला के विकेंद्रीकरण ने आधुनिक कला और साहित्य को नए और अनूठे रूपों में प्रस्तुत किया है, जो समाज में गैहरा परिवर्तन और प्रभाव लाया है।लेखन, फोटोग्राफी, चित्रकला, फिल्म, और ऑडियो-विजुअल मीडिया का एक संगम साहित्य को और भी रोचक और बौद्धिक बना रहा है।

डिजिटल साहित्य इंटरनेट का उपयोग करते हुए, लेखकों और कलाकारों को अपनी रचनाओं और कला को आसानी से व्यक्त करने का अवसर मिलता है। इलेक्ट्रॉनिक साहित्य या डिजिटल साहित्य एक ऐसी शैली है जहां डिजिटल क्षमताएँ जैसे अन्तरक्रियाशीलता, बहु-तौर-तरीके और अलोगोरिदम पाठ का सौंदर्यपूर्ण उपयोग किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक साहित्य के कार्यों को आमतौर पर कंप्यूटर, टैबलेट और मोबाइल फोन जैसे डिजिटल उपकरणों पर पढ़ा जाता है।

ब्लॉग, सोशल मीडिया, और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से, साहित्य और कला विभिन्न लोगों तक पहुंच रही हैं।आज के युग में, साहित्यिक आदान-प्रदान भी नए और विविध रूपों में हो रहा है। लेखकों, कवियों, और कलाकारों के बीच विचारों और विचारों का दिमागी तूफान , उन्हें साझा करना और उनके संदेश को बढ़ावा देना आम हो गया है।इस प्रकार, कला के विकेंद्रीकरण और आज का साहित्य एक साथ काम करके, समाज को नए और अनूठे रूपों में सोचने और अनुभव करने का अवसर प्रदान कर रहे हैं। यह उत्कृष्ट साधन है जो विभिन्न पहलुओं को समाहित करता है और समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करता है।

हैशटैग # की ताकत

आज के युग में हैशटैग की शक्ति ने साहित्य को फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई है। हैशटैग सोशल मीडिया का एक महत्वपूर्ण तत्व है जो किसी भी विषय को वायरल करने और उसे बढ़ाने में मदद करता है। साहित्य के क्षेत्र में भी, हैशटैग एक प्रभावशाली और शक्तिशाली उपकरण है।हैशटैग का प्रयोग करके लेखक और कवि अपने ब्लॉग को सार्वजनिक रूप से साझा कर सकते हैं। यह उन्हें अपने वैज्ञानिक कार्यों को बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचाने का एक अच्छा माध्यम प्रदान करता है।

इसके अलावा, हैशटैग के माध्यम से लेखक और कवि अपने विचार और दृष्टिकोण को दुनिया के साथ साझा कर सकते हैं, जो शास्त्र समुदाय में वाद-विवाद और साझा दृष्टिकोण को दार्शनिक कर सकते हैं।सोशल मीडिया के दिग्गज जैसे कि ट्विटर, सोशल मीडिया और फेसबुक पर हैशटैग का प्रयोग साहित्य के प्रचार और इसके प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेखक, विचारक और कवि अपनी रचनाओ और दृष्टिकोण को हैशटैग के ज़रिये जन साधारण तक पहूचा सकता है ।इस प्रकार, हैशटैग आज के युग में साहित्य को नए आयामों तक पहुँचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। यह आर्टिस्ट और पेंटिंग को अपने थिएटर के साथ साझा करने का एक उत्कृष्ट माध्यम प्रदान करता है।

साहित्य का बदलता आयाम और जन-जन तक पहुंचति कलम का आधार है कला का विकेंद्रीकरण, कैनवास का लोकतंत्रीकरण और हैशटैग की ताकत | इन्ही तीन करणों के साथ आज के लेखक की नई अस्थिर निज्जी लिपि और व्याकरणहिंता के बावजुद साहित्य सर्व व्याप्त है |

©  श्री आशीष गौड़

वर्डप्रेसब्लॉग : https://ashishinkblog.wordpress.com

पॉडकास्ट हैंडल :  https://open.spotify.com/show/6lgLeVQ995MoLPbvT8SvCE

https://www.instagram.com/rockfordashish/

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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