डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं प्रदत्त शब्दों पर भावना के दोहे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 232 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
(प्रदत्त शब्दों पर दोहे)
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☆ परिमल ☆
मोहक परिमल गंध का, लेते हम आनंद।
रसिक राधिका ने कहा,लिख दो प्यारे छंद।।
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☆ कोकिल ☆
मोहक कंठी कोकिला,प्यारी सी आवाज।
चहक -चहक खग कह रहे, आए हैं ऋतुराज।।
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☆ किसलय ☆
किसलय फूटा शाख पर,हुआ नवल शृंगार।
सुंदर शाखें सज रही,दिखता प्यार अपार।।
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☆ कस्तुरी ☆
कस्तूरी की गंध ने,मृग को किया विभोर।
इधर – उधर मृग ढूँढता,कहीं न दिखता छोर।।
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☆ पुष्प ☆
पुष्प चढ़ाते प्रेम का,प्रभु देते आशीष।
याचक ने की याचना, झुके द्वार पर शीश।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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