श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक बाल कविता – गोलू को पानी की सीख…” ।)
☆ तन्मय साहित्य #231 ☆
☆ बाल कविता – गोलू को पानी की सीख… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
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पानी के संकट को लेकर
गोलू को कितना समझाएँ
ध्यान नहीं देता है बिल्कुल
कैसे उसको सीख सिखाएँ।
*
गर्मी का आतंक मचा है
रोज-रोज फिर घटना पानी
जल को लेकर तू-तू मै-मैं
हुई रोज की नई कहानी,
उस पर गोलू की शैतानी
जब तब पानी व्यर्थ बहाए
गोलू को कितना समझाएँ।
*
सुबह-सुबह जब शौच को जाए
मुँह धोए ब्रश करे नहाए
पानी सतत बहता रहता
टोंटी खुली छोड़ आ जाए,
नहीं भुलक्कड़ है इतना वह
जान बूझ कर हमें चिढ़ाए
गोलू को कितना समझाएँ।
*
सूझा एक उपाय आज अब
गया नहाने बाथरूम जब
साबुन मला बदन में सिर में
पानी आना बंद हुआ तब,
रोया चिल्लाया तड़पा वह
पानी दे कोई मुझे बचाए
गोलू को कितना समझाएँ।
*
पहले तो कबूल करवाया
गलती का एहसास कराया
फिर टंकी का वाल्व खोलकर
पानी का महत्व समझाया,
सीख मिली गोलू जी को
अब बूँद-बूँद जल रोज बचाए
गोलू को कितना समझाएँ।।
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© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈