प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित एक भावप्रवण रचना – “अभी भी बहुत शेष है” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ ३० मई -पत्रकार दिवस विशेष >> पत्रकार ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
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जनतांत्रिक शासन के पोषक
जनहित के निर्भय सूत्रधार
शासन समाज की गतिविधि के विश्लेषक जागृत पत्रकार
लाते है खोज खबर जग की देते नित ताजे समाचार
जिनके सब से , सबके जिनसे रहते है गहरे सरोकार
जो धडकन है अखबारो की जिनसे चर्चायेे प्राणवान
जो निगहवान है जन जन के निज सुखदुख से परे निर्विकार
कर्तव्य परायण पत्रकार
चुभते रहते है कांटे भी जब करने को बढते सुधार
कर्तव्य पंथ पर चलते भी सहने पडते अक्सर प्रहार
पर कम ही पाते समझ कभी संघर्षपूर्ण उनकी गाथा
धोखा दे जाती मुस्काने भी उनको प्रायः कई बार
कर्तव्य परायण पत्रकार
आये दिन बढते जाते है उनके नये नये कर्तव्य भार
जब जग सोता ये जगते है कर्मठ रह तत्पर निराहार
औरो को देते ख्याति सदा खुद को पर रखते हैं अनाम
सुलझाने कोई नई उलझन को प्रस्तुत करते नये सद्विचार
कर्तव्य परायण पत्रकार
जग के कोई भी कोने में झंझट होती या अनाचार
ये ही देते नई सोच समझ हितदृष्टि हटा सब अंधकार
जग में दैनिक व्यवहारों मे बढते दिखते भटकाव सदा
उलझाव भरी दुनियाॅ में नित ये ही देते सुलझे विचार
कर्तव्य परायण पत्रकार
सुबह सुबह अखबारों से ही मिलते हैं सारे समाचार
जिनका संपादन औ प्रसार करते हैं नामी पत्रकार
निष्पक्ष और गंभीर पत्रकारों का होता बडा मान
क्योंकि सब गतिविधियों के विश्लेषक सच्चे पत्रकार
कर्तव्य परायण पत्रकार
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© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी भोपाल ४६२०२३
मो. 9425484452
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈